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UP : फिलहाल टला योगी मंत्रिमंडल विस्तार, उचित समय पर भरा जाएगा खाली पद

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Published : Jun 7, 2021, 1:29 AM IST

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार फिलहाल कुछ समय के लिए टाल दिया गया है. राज्यपाल से मुलाकात के बाद यूपी बीजेपी प्रभारी राधा मोहन सिंह की तरफ से आए बयान के बाद उन तमाम कयासों पर विराम लग गया, जिसकी चर्चाएं आज सुबह से हर किसी के जुबान पर थी. फिलहाल बीजेपी की माने तो संकट न तो सरकार (मुख्यमंत्री योगी) पर है न ही प्रदेश बीजेपी संगठन पर.

टला योगी मंत्रिमंडल विस्तार
टला योगी मंत्रिमंडल विस्तार

लखनऊः उत्तर प्रदेश में रविवार को एक बार फिर सियासी अटकलों का बाजार गर्म रहा. यूपी बीजेपी प्रभारी राधामोहन सिंह की राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात ने राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दीं. हालांकि राधा मोहन सिंह ने इसे शिष्टाचार भेंट बताकर चर्चाओं पर विराम लगाने की कोशिश जरूर की. शाम को सरकार की तरफ से संकेत दिए गए कि अभी फिलहाल मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया जाएगा, लेकिन राधा मोहन सिंह की उस बात का क्या जिसमें उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के रिक्त पदों को उचित समय पर भरा जाएगा. मतलब साफ है कि मंत्रिमंडल विस्तार अभी टाला गया है, आगे चलकर विस्तार हो सकता है.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से राधा मोहन सिंह ने की मुलाकात

शर्मा के भाजपा में शामिल होने पर शुरू हुईं थीं अटकलें

योगी मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें इसी साल जनवरी माह में उस वक्त लगाई जाने लगी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी पूर्व आईएएस अधिकारी एके शर्मा भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले थे. वे पार्टी में शामिल हुए और उन्हें उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य बनाया गया. समय निकलता गया, मंत्रिमंडल विस्तार ठंडे बस्ते में चला गया. दूसरी बार मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें उस वक्त तेज हुईं जब अरविंद कुमार शर्मा वाराणसी समेत पूर्वांचल के कुछ जिलों के विकास को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के बाद केंद्रीय नेताओं से उनकी मुलाकात की.

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मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर ऐसे होती रहीं चर्चाएं

योगी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर राजनीतिक गलियारे में चर्चाएं तेज थीं. इसी बीच पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष 31 मई को लखनऊ दौरे पर पहुंचे. तीन दिनों तक उन्होंने लखनऊ मैराथन बैठकें की. सरकार संगठन और संघ के महत्वपूर्ण लोगों से उनकी मुलाकात हुई. बीएल संतोष ने मंत्रियों से भी अलग-अलग मिलकर राज्य का नब्ज टटोला. इस बीच मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन में बदलाव को लेकर चर्चाएं होती रहीं.

विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से राधा मोहन सिंह की मुलाकात

बीएल संतोष दो जून को दिल्ली पहुंचे. इसके बाद खबर आने लगी कि उन्होंने उत्तर प्रदेश की एक रिपोर्ट तैयार की है. वह रिपोर्ट उन्होंने भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंप दी है. रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय नेतृत्व इस बात पर सहमत हो गया है कि अब उत्तर प्रदेश में कोई भारी फेरबदल यानी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या फिर संगठन में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही यह बात भी आई कि 2022 का चुनाव योगी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार होगा.

रविवार को एक फिर चढ़ा यूपी का सियासी पारा

उत्तर प्रदेश में सियासी पारा रविवार को एक बार फिर तेजी से ऊपर चढ़ा, लेकिन शाम होते-होते सियासी गलियारे में चर्चाएं थोड़ी नरम पड़ गयीं. दरअसल, यूपी बीजेपी प्रभारी राधा मोहन सिंह शनिवार को दिल्ली से वापस लखनऊ पहुंचे. रविवार को उन्होंने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मुलाकात की. इसके बाद तमाम प्रकार की चर्चाएं शुरू हुईं. बड़े फेरबदल की अटकलें लगाई जाने लगीं. मुलाकात के बाद राधा मोहन सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उनकी यह मुलाकात एक शिष्टाचार भेंट थी. इससे ज्यादा कुछ भी नहीं. इसके बाद यह कहा जाने लगा कि मंत्रिमंडल विस्तार भी नहीं होगा.

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भविष्य में हो सकता मंत्रिमंडल विस्तारमीडिया से मुखातिब यूपी बीजेपी प्रभारी राधामोहन सिंह ने एक और महत्वपूर्ण बात कही, जिसमें भविष्य की योजना छिपी दिखी. रिक्त पदों को भरे जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में रिक्त पदों को भरने का काम उचित समय पर किया जाएगा. इससे स्पष्ट है कि अभी भले ही मंत्रिमंडल विस्तार टाल दिया गया हो, आने वाले समय में योगी मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. पार्टी के सूत्र भी बताते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार भविष्य में किया जाएगा. इसलिए यह कहा जा सकता है कि विस्तार की संभावना बनी हुई हैं.

चुनावी साल होने के नाते अटकलों का दौर

अगले साल उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. भाजपा के लिए यूपी सबसे महत्वपूर्ण राज्य है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे चेहरे उत्तर प्रदेश से ही चुनकर संसद पहुंचे हैं. 80 संसदीय सीट और 403 विधानसभा क्षेत्र वाले इस राज्य में राजनीतिक वर्चस्व सभी दल बढ़ाना चाह रहे हैं. सत्ताधारी दल भाजपा के सामने अपना दुर्ग बचाना बड़ी चुनौती है.

पश्चिम बंगाल में हार और यूपी के पंचायत चुनाव में अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं मिलने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने बिना देरी के तेजी से उत्तर प्रदेश में सक्रियता बढ़ा दी है. केंद्रीय नेतृत्व की सक्रियता भी अटकलों का एक कारण है. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश का सियासी पारा तेजी से ऊपर चढ़ना शुरू कर दिया है. आने वाले कुछ समय में भारतीय जनता पार्टी ही नहीं बल्कि सभी राजनीतिक दल चुनावी मोड में दिखाई देंगे.

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