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भाषा की शालीनता, शब्दों के अनुशासन के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करें : उपराष्ट्रपति नायडू - freedom of expression

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि नागरिकों को भाषा की शालीनता और शब्दों के अनुशासन के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करना चाहिए.

Vice President Naidu
उपराष्ट्रपति नायडू

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Published : Jan 4, 2022, 3:56 PM IST

Updated : Jan 4, 2022, 4:15 PM IST

वर्धा : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि नागरिकों को भाषा की शालीनता और शब्दों के अनुशासन के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सभ्य समाज से सौम्य, संस्कारी और रचनात्मक भाषा की अपेक्षा की जाती है.

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू महाराष्ट्र के वर्धा जिले में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में एक सभा को संबोधित कर रहे थे.

उपराष्ट्रपति ने कहा, आइए हम अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग भाषा की शालीनता और शब्दों के अनुशासन के साथ करें. हमारा लेखन समाज के लिए अच्छा होना चाहिए. सभ्य समाज से यह अपेक्षा की जाती है कि इसकी भाषा सौम्य, संस्कारी और रचनात्मक हो.

नायडू ने कहा कि एक लंबी बहस के बाद, संविधान सभा ने हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था और आठवीं अनुसूची में अन्य भारतीय भाषाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया था.

उन्होंने कहा, हम भाग्यशाली हैं कि हमारे देश में भाषाई विविधता है. हमारी भाषाई विविधता हमारी ताकत है, क्योंकि हमारी भाषाएं, सांस्कृतिक एकता का प्रतीक हैं. उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय भाषा का गौरवशाली इतिहास और समृद्ध साहित्य रहा है.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी के लिए भाषा का प्रश्न राष्ट्रीय एकता का प्रश्न था. उन्होंने आगे कहा कि हिंदी पर जोर देने के बाद भी महात्मा गांधी ने प्रत्येक नागरिक की मातृभाषा के प्रति संवेदनशीलता को समझा.

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उन्होंने कहा, महात्मा के लिए, राष्ट्र की एकता के लिए भाषा का प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण था. उनका विचार था कि 'राष्ट्रभाषा' के बिना देश बहरा है. सभी भारतीय भाषाओं का गौरवपूर्ण इतिहास और समृद्ध साहित्य है. हमारी भाषाओं में विविधता ही हमारी ताकत है.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी हिन्दी का प्रचार करते हुए मातृभाषा के उपयोग के प्रति संवेदनशील थे. उनका मानना था कि किसी पर भी कोई भाषा नहीं थोपी जानी चाहिए.

नायडू ने कहा, नई शिक्षा नीति 2020 महात्मा गांधी की शिक्षाओं का अनुसरण करती है. यह प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय स्तर पर मातृभाषा के उपयोग का भी प्रस्ताव करती है.’’

वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय हिंदी माध्यम में विदेशी भाषाएं जैसे फ्रेंच, स्पेनिश, चीनी, जापानी आदि पढ़ाता है. इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए नायडू ने अन्य भारतीय भाषाओं के लिए भी इस सुविधा का विस्तार करने का आह्वान किया, ताकि हिंदी के छात्र अन्य भारतीय भाषाओं को भी सीख सकें.

(पीटीआई)

Last Updated : Jan 4, 2022, 4:15 PM IST

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