नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यूपी के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद डीपी यादव को गाजियाबाद विधायक महेंद्र भाटी की हत्या मामले में कोई ठोस सबूत न मिलने पर निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया है. साथ ही इस हत्याकांड में अन्य आरोपियों की अपील में हुए निर्णय को सुरक्षित रखा गया है.
बता दें कि आज नैनीताल हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गाजियाबाद विधायक महेंद्र भाटी की हत्या मामले में बाहुबली नेता और पूर्व सांसद डीपी यादव और अन्य को देहरादून की सीबीआई कोर्ट के आजीवन सजा के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर अपना निर्णय सुनाया है.
कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए डीपी यादव के खिलाफ कोई ठोस सबूत न पाते हुए इस हत्याकांड में उन्हें बाइज्जत रिहा कर दिया है. वहीं, डीपी यादव अभी अतंरिम जमानत पर भी हैं. साथ ही कोर्ट ने इस हत्याकांड के अन्य आरोपियों की अपीलों में निर्णय सुरक्षित रखा है. इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.
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इससे पहले खंडपीठ ने डीपी यादव को मेडिकल चेकअप के लिए दी शॉर्ट टर्म बेल की अवधि दो महीने और बढ़ा दी थी. कोर्ट ने उन्हें 20 अप्रैल 2021 को दो महीने की अंतरिम जमानत दी थी, जिसकी अवधि 20 जून को खत्म हो गई. उसके बाद डीपी यादव की तरफ से शॉर्ट टर्म बेल की अवधि बढ़ाने हेतु प्रार्थना पत्र कोर्ट में पेश किया गया. अब खंडपीठ इस मामले में अंतिम सुनवाई कर रही है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हो रही है.
ये है पूरा मामलाः13 सितंबर 1992 को गाजियाबाद के तत्कालीन विधायक महेंद्र भाटी की हत्या यूपी के बाहुबली नेता पूर्व सांसद डीपी यादव परनीत भाटी, करन यादव व पाला उर्फ लक्कड़ पाल दादरी रेलवे क्रॉसिंग पर गोली मारकर कर दी थी. 15 फरवरी 2015 को देहरादून की सीबीआई कोर्ट ने चारों हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा सुनवाई थी. इस आदेश को चारों अभियुक्तों द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.
तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से विधायक की हत्या के मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को हस्तांतरित किया था. जबकि, सीबीआई की कोर्ट ने विधायक की हत्या के आरोप में सभी आरोपियों को 10 मार्च 2015 को आजीवन कारावास की सुनाई थी. जिसके बाद से सभी आरोपी जेल में बंद थे.
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13 सितंबर, 1992 को गाजियाबाद में तत्कालीन विधायक भाटी अपने समर्थकों के साथ बंद रेलवे फाटक के खुलने का इंतजार कर रहे थे. इस दौरान एक वाहन में सवार हथियारबंद बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. इसमें भाटी व उनके साथी उदय प्रकाश की मौत हो गई थी. कुछ लोग घायल हुए थे. जांच के दौरान इस हत्याकांड में डीपी यादव और उसके साथियों के नाम सामने आए. पुलिस ने हत्या के दौरान इस्तेमाल की गई गाड़ी भी बरामद की थी.
महेंद्र सिंह भाटी गाजियाबाद के दादरी से विधायक थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस केस को साल 2000 में सीबीआई को सौंप दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट को आशंका थी कि डीपी यादव यूपी का बाहुबली और बड़ा नेता है. ऐसे में यूपी में उसके खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हो पाएगी. डीपी यादव ने जिन महेंद्र सिंह भाटी की हत्या की, वह उसके राजनीतिक गुरु भी थे.