एटा के जलेसर में अयोध्या के राम मंदिर के लिए तैयार हो रहे अनोखे घंटे पर संवाददाता अतुल नारायण की खास रिपोर्ट. एटा: अयोध्या में श्री राम का भव्य मंदिर बन रहा है. इसका उद्घाटन और भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को प्रस्तावित है. जिसमें लाखों लोगों के पहुंचने की उम्मीद है. लेकिन, इस भव्य समारोह में यूपी के एटा जिले के जलेसर से एक खास चीज भी पहुंचेगी, जिससे पूरा राम मंदिर गुंजायमान होगा. ये चीज है एटा जिले के जलेसर में बना रहा खास घंटा, जिसकी गूंज श्री राम के प्रताप को और गुंजायमान करेगी.
जलेसर का मित्तल परिवार रामलला के बन रहे मंदिर के लिए इस घंटे को दान करेगा. 25 सौ किलो का यह भारी-भरकम घंटा 25 लाख रुपए की कीमत से बनकर तैयार होगा. यह घंटा जिंक, कॉपर, लेड, टिन, निकिल, सिल्वर, गोल्ड जैसी 7-8 धातुओं से मिलकर बना है. एटा जिले के जलेसर को वैसे तो घुंघरू की नगरी कहा जाता है. लेकिन, यहां पूजा के लिए घर से लेकर भव्य मंदिरों तक के लिए घंटे तैयार किए जाते हैं.
सांचे में फिट करके अयोध्या भेजे जाने वाले घंटे को तैयार करता कारीगर. जलेसर के घंटों से निकलती हैं ओम की ध्वनिःदेश के उत्तर से लेकर दक्षिण तक के तमाम मंदिरों में जलेसर के बने घंटे गुंजयमान हैं. यहां की मिट्टी खास है. ढलाई में मददगार मिट्टी की वजह से ही यहां बने घंटे में ओम की ध्वनि उत्पन्न होती है. लोग बताते हैं जलेसर में बने घंटी-घंटे एक्सपोर्ट भी हो रहे हैं. यहां की मिट्टी ही इस कारोबार को बचाए हुए हैं. वरना चीन भी इस कारोबार को करने लग जाता.
कैसे बनते हैं मंदिरों में लगे घंटेःकारीगर मनोज ने बताया कि हम मिट्टी को छानकर उसमें सीरा मिलाते हैं. उसे फिर सांचे में डालते हैं. उसके बाद गर्म की हुई धातु को सांचे में डाला जता है. तब घंटा तैयार होता है. मजदूर बृजेश ने बताया कि वह मेटल को गलाते हैं, जो घंटा बनाने में प्रयुक्त होता है. कारोबारी आदित्य मित्तल ने बताया कि हमारे यहां 500 किलो 700 और 1100 किलो के घंटे बनाए जा चुके हैं.
अयोध्या भेजे जाने वाले घंटे को तैयार करने के लिए इसी भट्ठी में गलाए गए आठ धातु. ये अनोखा घंटा बनाने में कितना समय लगाःउन्होंने बताया कि हमारे मन में आया क्यों न राम मंदिर के लिए घंटा बनाकर दिया जाए. इसके बाद यह 2500 किलो का घंटा हमारे परिवार द्वारा राम मंदिर के लिए डोनेट किया जा रहा है. इसके लिए उन्होंने श्री राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट से संपर्क किया, जिसकी उन्होंने मंजूरी दी है. इस घंटे को बनाने में काफी मशक्कत हुई. पहली बार घंटा 17 सौ किलो का बना फिर करीब 1900 किलो का बनकर तैयार हुआ. अब यह लगभग 2500 किलो का होगा.
जलेसर के घंटे का क्या होगा साइजःइसे बनाने में करीब तीन महीने का समय लगा है और करीब ढाई सौ लोग लगे हैं. इसमें कई सारी धातु मिली हैं. 6 फीट ऊंचा, 15 फीट गोलाई और 5 फीट त्रिज्या(रेडियस)का यह घंटा संभवतः दिसंबर के दूसरे सप्ताह में विधि विधान के साथ अयोध्या भेजा जाएगा. उन्होंने बताया कि इससे पहले उनके द्वारा 1500 किलो वजन का घंटा बनाया गया था जो उज्जैन भेजा गया था.
जलेसर में तैयार होते हैं हर साइज के घंटे और घंटियां. जलेसर की मिट्टी में क्या है खासःउनके फार्म सावित्री ट्रेडर्स द्वारा देश के उत्तर से दक्षिण तक के मंदिरों में घंटे भेजे गए हैं. केदारनाथ मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चढ़ाया गया 100 किलो का घंटा भी उनके यहां तैयार हुआ था. उन्होंने बताया कि यहां की मिट्टी गॉड गिफ्टेड है. यहां की मिट्टी में घंटों की जो ढलाई होती है, उससे ओम की ध्वनि पैदा होती है, जो कहीं और की बने घंटे से नहीं होती.
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