नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र के तीन नए कृषि कानून किसानों की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे और इनको वापस लेने का सवाल ही नहीं है.
गुरुवार को ग्वालियर पहुंचे तोमर ने कहा कि कृषि कानून किसी भी कीमत पर वापस नहीं होंगे. उन्होंने साफ कर दिया कि ये कानून 30 साल की कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत का प्रतिफल हैं. देश के अधिकांश किसान यूनियन कृषि कानून के समर्थन में हैं. विरोध कर रहे किसान यूनियन के लोगों से भी बातचीत करने के लिए सरकार ने भरपूर कोशिश की है.
तोमर ने कहा कि किसान संगठनों के साथ सरकार 11 दौर की बातचीत कर चुकी है. फिर भी किसानों को ये कानून समझ में नहीं आ रहे, तो इसमें सरकार की कोई गलती नहीं है.
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बता दें कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली का घेराव कर रहे किसानों के प्रदर्शन को सात महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है. केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने बीते साल 26 नवंबर से दिल्ली चलो मार्च के तहत अपना प्रदर्शन शुरू किया था. दिल्ली का घेराव कर रहे इन किसानों के प्रदर्शन को बीती 26 जून के दिन सात महीने हो चुके हैं. ये किसान दिल्ली के टीकरी, सिंघू और गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुए हैं.
शुरुआत में इस प्रदर्शन में सबसे ज्यादा पंजाब के किसान शामिल हुए लेकिन धीरे-धीरे इसमें यूपी से लेकर उत्तराखंड और हरियाणा समेत कुछ अन्य राज्यों के किसान भी शामिल हो गए. किसानों के इस आंदोलन को शुरूआत में भारी समर्थन भी मिला. देश के अलावा दुनिया के अन्य देशों में रह रहे भारतीय भी इन किसानों के समर्थन में उतरे. सोशल मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया तक में किसानों का हल्ला बोल सुर्खियां बटोरता रहा.
सरकार और किसानों के बीच नहीं बनी बात
इस पूरे मसले पर किसान और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है लेकिन अब तक बात नहीं बन पाई है. किसान नेताओं के प्रतिनिधिमंडल और सरकार के बीच 11 मुलाकातें हुईं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा. इन बैठकों में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल हुए लेकिन किसान और सरकार अपने-अपने पाले में डटे रहे. किसान कानून वापस लेने की मांग पर अड़े रहे और सरकार अपने फैसले पर कायम रही.