नई दिल्ली/ देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक कांड (UKSSSC Recruitment Examination Scam) ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के द्वारा कराई गई परीक्षाओं में गड़बड़ियों का भांड़ाफोड़ (Uttarakhand Government Jobs Scam) दिया है. पहली शिकायत मिलने के बाद से कई मामले सामने आ गए, जिससे उत्तराखंड की राजनीति में तहलका मचा हुआ है और इस मामले में एक के बाद एक कई लोगों पर गाज गिर चुकी है और मामले में 3 दर्जन से अधिक लोगों की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. यह मामला उत्तराखंड राज्य के सबसे बड़े घोटालों में शामिल हो चुका है. इस कांड के हर एक पहलू पर आपको विस्तृत जानकारी देने की पहल की जा रही है. यहां आप समझ सकते हैं कि यह पूरा मामला क्या था और अब तक क्या कार्रवाई हुई हैं. वहीं इस मामले में चल रही जांच की दिशा और दशा क्या है...
क्या है UKSSSC पेपर लीक कांड
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने ग्रैजुएट लेवल के 916 पदों के विज्ञापन निकालकर 4 और 5 दिसंबर 2021 को परीक्षा करायी, ताकि इन पदों पर चयनित उम्मीदवारों की भर्ती की जा सके. इस पूरे मामले में UKSSSC ने 4 व 5 दिसंबर 2021 को स्नातक स्तर की परीक्षा तीन पालियों में आयोजित की थी, जिसमें करीब 1,90,000 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी एवं 916 अभ्यर्थी चयनित हुये थे, लेकिन इस परीक्षा में नकल व पेपर लीक होने की शिकायतें वायरल होने लगीं तो मामला मीडिया व राजनीतिक गलियारों की सुर्खियां बनने लगा.
ऐसे खुला मामला
जब परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायतें पता चलने लगीं तो बेरोजगार संगठनों एवं कई छात्रों ने मुख्यमंत्री से मिलकर इस परीक्षा में हुई अनियमितताओं की जांच हेतु माँग की. जब शिकायतकर्ता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास पहुंचे और उन्होंने कुछ व्हाट्सएप स्क्रीनशॉट और कुछ तथ्य के मुख्यमंत्री के सामने रखे तो मुख्यमंत्री ने तत्काल प्रभाव से इस मामले पर कार्यवाही के निर्देश दिए. इसके बाद 22 जुलाई 2022 को रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया और बाद में पुलिस ने इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंप.
इन धाराओं में दर्ज है मुकदमा
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में की गयी गड़बड़ियों की जांच के लिए देहरादून के रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें निम्नांकित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है...
- आईपीसी 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, 471 (सभी विभिन्न प्रकार के फर्जी दस्तावेजों को तैयार करने से संबंधित), 34 (एकराय होकर अपराध करना)
- उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम -1988
ऐसी हुयी थीं गड़बड़ियां
- आयोग के स्तर से भर्ती परीक्षाओं के काम जिस तरह से करवाए गए हैं, उस पर आयोग लगातार कटघरे में है. कहा जा रहा है कि यहां पर एक ही कंपनी को बार-बार पेपर छपवाने का ठेका दिया गया, आयोग की हाई सिक्योरिटी जोन वाली प्रिंटिंग प्रेस से पेपर चोरी हो गए, कंपनी के साथ अनुबंध संबंधी मामलों में स्थिति स्पष्ट नहीं थी. जिससे लगता है कि इस मामले में आयोग के जिम्मेदार अफसरों ने जमकर नियमों की अनदेखी करते रहे और ऐसे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते रहे.
- गिरफ्तार जगदीश गोस्वामी से मिली जानकारी पर एसटीएफ ने बताया कि जगदीश गोस्वामी राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मलसूना, कांडा जिला बागेश्वर में नियुक्त है. इसके द्वारा अपने इलाके और आसपास के छात्रों को इकठ्ठा कर परीक्षा के पहले रात को वाहन से धामपुर ले जाकर प्रश्न पत्र एवं उत्तर याद कराये थे और फिर वापस परीक्षा केंद्रों पर छोड़ दिया था.
- कहा जा रहा है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा के टॉयलेट पेपर पर लिखे हुए 63 सवालों के जवाब परीक्षा से छह घंटे पहले ही वायरल हो गए थे. व्हाट्सएप का ऐसा ही स्क्रीनशॉट आयोग के पास पहुंचा था, जिसका मिलान करने पर अधिकारियों के होश उड़ गए थे. उन्होंने तत्काल यह स्क्रीनशॉट पुलिस को उपलब्ध कराया था, जिसकी जांच चल रही है.
- इसके साथ साथ पुरानी परीक्षाओं के रिजल्ट से कुछ उम्मीदवारों के अंकों के ट्रेंड का मिलान किया गया तो कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं. आयोग ने पेपर लीक के 82 संदिग्ध उम्मीदवारों को चिह्नित करने के बाद उनकी जानकारी पुलिस की साइबर सेल को उपलब्ध कराई थीं. एक टॉयलेट पेपर के तीन फोटो मिले थे. इन पर क्रम में सवालों के नंबर और उनके जवाब लिखे थे. जब पेपर और उनके उत्तरों से मिलान किया तो पता चला कि सभी 63 सवालों के जवाब बिल्कुल ठीक थे.
करोड़ों का हो सकता है खेल
जांच में अभीतक जो सामने आया है, उसके हिसाब से मनोज जोशी और तुषार चौहान ने दोनों अभ्यर्थियों को ये पेपर 15-15 लाख रुपए में बेचा था. एडवांस के तौर पर दोनों से 6 लाख रुपए लिए थे. बाकी के 24 लाख रुपए रिजल्ट आने के बाद लिए गए थे. इस UKSSSC परीक्षा भर्ती मामले में जांच पड़ताल के दौरान 94.79 लाख कैश बरामद हो चुका है. वहीं 30 लाख रुपए बैंक खातों में फ़्रीज़ करवा दिए गए हैं. कहा जा रहा है कि जैसे जैसे जांच बढ़ेगी वैसे वैसे और भी इसका दायरा बढ़ता जाएगा. एसटीएफ की पड़ताल में अब तक 150 से अधिक अभ्यर्थियों के नाम सामने आ चुके हैं. जबकि, स्क्रीनिंग में केवल 100 अभ्यर्थियों को ही संदिग्ध माना गया था. एसटीएफ का अनुमान है कि इनकी संख्या 250 तक भी पहुंच सकती है. ऐसे में यदि पेपर बिक्री के इस धंधे का आकलन किया जाए तो तकरीबन 30 करोड़ रुपये इधर से उधर हुए हैं.
और भी मामले आए सामने
जांच शुरु हुयी तो कई और परीक्षाओं में भी धांधलेबाजी की शिकायतें आयीं, जिसमें सचिवालय रक्षक भर्ती, कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशियरी) परीक्षा, 2020 में उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा वन आरक्षी (फॉरेस्ट गार्ड) परीक्षा शामिल हैं. अब इन सारे मामलों में एसटीएफ के द्वारा जांच की जा रही है. स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक के विवादों से घिरे अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की कई भर्तियां विजिलेंस कार्रवाई की जद में आ गई है. इसके पहले भी 2016 में हुई इस परीक्षा को रद्द किया गया था. इस मामले में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद कार्रवाई शुरू कर दी है. मामले में आयोग के ही तत्कालीन कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी. कहा जा रहा है कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (VDO VPDO Recruitment Exams 2021) के 196 पदों पर भर्ती की परीक्षा कराई थी, इसका परिणाम उसी साल 26 मार्च को जारी किया था. इस भर्ती परीक्षा में आरोप लगे थे कि ओएमआर शीट को दो सप्ताह तक किसी गुप्त स्थान पर रखकर उससे छेड़छाड़ की गई थी. इसके बाद रिजल्ट जारी हुआ था. इस भर्ती में दो सगे भाईयों के टॉपर बनने के साथ ही ऊधमसिंह नगर के एक गांव के 20 से ज्यादा युवाओं के चयन का आरोप लगा था. तब इस मामले में तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने उच्च स्तरीय जांच बैठाई थी. विवादों के बीच ही तत्कालीन आयोग के अध्यक्ष आरबीएस रावत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. बाद में 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने इस भर्ती को रद्द करते हुए इसकी जांच बैठाई थी. जांच के आधार पर विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज किया है. इसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर 2018 में दोबारा परीक्षा करवाने का आदेश दिया तो आयोग ने 25 फरवरी 2018 को दूसरी बार परीक्षा कराई, जिसमें पूर्व परीक्षा में चयनित हुए 196 उम्मीदवारों में से केवल 8 का चयन हो सका था.
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गिरोह के मास्टर माइंड व सरगना
16 सितंबर को यूकेएसएसएससी पेपर लीक कराने वाले गिरोह के मास्टर माइंड व सरगना सैयद सादिक मूसा व उसके करीबी सहयोगी योगेश्वर राव को आखिरकार यूपी पुलिस के सहयोग से लखनऊ दबोच लिया था. मूसा पर उत्तराखंड पुलिस ने दो लाख और योगेश्वर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. मूसा मूलरूप से अंबेडकरनगर के अब्दुलपुर सहजादपुर का रहने वाला है. वहीं योगेश्वर राव उर्फ राजू गाजीपुर के सहाबुद्दीनपुर भड़सर का निवासी बताया गया था.
हाकम सिंह और भाजपा
कहा जाता है कि अस बीजेपी सरकार पर सवाल खड़े हुए जब उनका पूर्व प्रधान और बीजेपी कार्यकर्ता हाकम सिंह इस पूरे मामले में गिरफ्तार हुआ. हाकम सिंह को लेकर सबसे ज्यादा बीजेपी के ऊपर सवाल खड़े हुए, क्योंकि वह एक अधिकारी का कभी ड्राइवर और बावर्ची हुआ करता था. लेकिन देखते ही देखते वह तमाम बीजेपी के बड़े नेताओं की आंखों का तारा बन गया और इस मामले में तीसरी गिरफ्तारी हाकम सिंह की ही हुई थी. बीजेपी उससे किनारा कर रही थी, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुलकर यह कहा कि वह हमारा कार्यकर्ता है और अगर कार्यकर्ता कोई गलत काम करता है तो उसे भी बख्शा नहीं जाएगा. हाकम सिंह के पास अकूत संपत्ति जायदाद और आलीशान रिजॉर्ट भी है. इतना ही नहीं उसने कुछ संपत्ति विदेशों में भी बना रखी है. फिलहाल उसकी भी जांच चल रही है. उसकी तस्वीरें बीजेपी के तमाम मुख्यमंत्रियों, सांसदों, विधायकों के साथ-साथ उत्तराखंड के बड़े अधिकारियों के साथ भी वायरल हुई हैं, जिससे भाजपा नेता चाहकर भी पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं.
ऐसे हो रही है धड़ाधड़ कार्रवाई
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक मामले में 22 जुलाई को मुकदमा दर्ज हुआ और 24 जुलाई से गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो गया. 53 दिनों में एसटीएफ इस अकेले मामले में 41 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इनसे पूछताछ में पता चला है कि किस तरह से यह पेपर लीक की चेन लखनऊ से शुरू हुई और धामपुर होते हुए उत्तरकाशी तक जा पहुंची. उत्तराखंड एसटीएफ के टारगेट पर अब वो अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने घपला करके परीक्षा दी है. ऐसे करीब 50 अभ्यर्थियों की उत्तराखंड एसटीएफ पहचान कर चुकी है, जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा.
22 जुलाई 2022 - जांच शुरू करने के 2 दिन बाद ही 6 आरोपी गिरफ्तार किया गया. पहले लगा कि इनमें से ही किसी ने पेपर लीक किया और अपने-अपने संपर्कों में बांटा. पूछताछ और जांच के बाद देहरादून के दो उपनल कर्मचारी नेताओं का नाम सामने आया. आरोपियों से पता चला कि उन्होंने सेलाकुई में रहते हुए वहां के कुछ अभ्यर्थियों को नकल कराई.