प्रयागराज : प्रयागराज के संगम तट पर होने वाले माघ मेला में रेती पर तंबुओं का एक अलग शहर बसाया गया है. तकरीबन दो महीने तक चलने वाले आस्था के इस सबसे बड़े मेले में धर्म और आध्यात्म की अलख जगाने के लिए देश के कोने-कोने से हजारों संत-महात्मा आए हुए हैं.
दो बाबाओं की हो रही चर्चा
माघ मेले में लगा बाबाओं का कैंप. धार्मिक मेले में आए संत-बाबा आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं. इस बार मेले में आए दो बाबा लोगों का ध्यान खींच रहे हैं. माघ मेले में दो बाबाओं के नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं. इनका नाम है ट्रंप बाबा और हिटलर बाबा. इन दोनों बाबाओं की लोकप्रियता ने अन्य बाबाओं की लोकप्रियता को कम कर दिया है. धर्मनगरी में तो आज कल ट्रंप और हिटलर बाबा के ही चर्चे हैं.
ये हैं शासनवाले बाबा
सनातन धर्म में सन्यास ग्रहण के बाद हर इंसान का नाम बदल जाता है. उसको एक नए नाम से पहचाना जाता है. यह पहचान उसके सन्यासी स्वरूप के आधार पर होती है, लेकिन जब किसी का नामकरण ही अजीबोगरीब तरीके से हो, तो उस पर आप क्या कहेंगे. प्रयागराज के माघ मेले में कई ऐसे बाबा आते हैं, जिनका नाम आपको सोचने पर मजबूर कर देता है. इन बाबा के नाम हमें अमेरिका और जर्मनी की याद दिलाते हैं.
अजीब नाम वाले बाबा
धर्म नगरी में कंप्यूटर बाबा, मारुति बाबा, गोल्डन बाबा, मौनी बाबा जैसे कितने ही बाबा संगम तट पर आया करते हैं. इनमें से हिटलर बाबा और ट्रंप बाबा प्रमुख हैं. हिटलर बाबा का नामकरण उनके गुरु ने किया था. ट्रंप बाबा अपने कर्मों की वजह से इस नाम से जाने जाते हैं.
जैसा नाम वैसा काम
तानाशाह के तौर पर बदनाम जर्मनी के पूर्व शासक एडॉल्फ हिटलर का नाम तो आपने जरूर सुना होगा. हिटलर बेहद जिद्दी, क्रूर और तानाशाह था. हिटलर जो ठान लेता था, उसे हर हाल में करता था. अपने आगे वह किसी की भी बात नहीं सुनता था. माघ मेले में श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बने हिटलर बाबा भी कुछ इसी तरह के हैं. हालांकि, उनकी जिद और कठोरता सिर्फ धर्म और आध्यात्म के प्रचार-प्रसार और अपनी साधना भर के लिए ही होती है, किसी को परेशान करने के लिए नहीं.
हिटलर बाबा का असली नाम है महंत माधव दास
हिटलर बाबा बैरागियों के दिगंबर अणी अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं. उनका असली नाम महंत माधव दास है. माधव दास के हिटलर बाबा बनने के पीछे भी एक कहानी है. माधव दास ने जब सन्यास की दीक्षा ली थी, तो वह अपनी साधना पूरी करने और गुरु की सेवा करने में दिन-रात लगे रहते थे. जिद पर अड़कर लंबे समय तक साधना में लीन रहते थे.
इस दौरान अगर कोई भी उनकी साधना, गुरु की सेवा, धर्म व आध्यात्म के दूसरे कामों में रुकावट डालता था, तो माधव दास उसे खरी-खोटी सुना देते थे. उनकी इसी जिद की वजह से साल 1992 में उनके गुरु रघुवर दास ने उन्हें हिटलर नाम दे दिया. गुरु उन्हें हिटलर कहकर पुकारने लगे. पूरे अखाड़े के लिए वह हिटलर बाबा बन गए. तब से आज तक उनका यही नाम उनकी खास पहचान बना हुआ है .
हिटलर बाबा की कॉफी
हिटलर बाबा एक तानाशाह के नाम पर पुकारे जाने पर न तो नाराज होते हैं और न ही बुरा मानते हैं. उनका कहना है कि ये नाम गुरु का दिया हुआ है. लिहाजा वह इसे गुरु के आशीर्वाद के तौर पर लेते हैं. हिटलर बाबा बहुत अच्छे भजन गाते हैं. साथ ही लकड़ी के चूल्हे पर तैयार की गई उनकी कॉफी किसी को भी उनका मुरीद बना सकती है.
आश्रम की व्यवस्था संभालते हैं ट्रंप बाबा
ट्रंप बाबा चित्रकूट और उज्जैन के साकेत धाम आश्रम के व्यवस्थापक हैं. करीब 20 साल पहले गृहस्थ जीवन त्याग कर सन्यास की दीक्षा लेने वाले ट्रंप बाबा का असली नाम कंचन कुमार मिश्र है. आश्रम की व्यवस्थाओं को बेहतर तरीके से संभालने के कारण वहां के संचालक और दूसरे पदाधिकारी उनके मुरीद बन चुके हैं. अमेरिका के पिछले चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति की गद्दी पर बैठे, तो उसी वक्त कंचन मिश्र को आश्रम के व्यवस्थापक की जिम्मेदारी सौंपी गई. उनके गुरु बिनैका बाबा ने ही उन्हें ट्रंप का नाम दिया.
बाइक पर फर्राटा भी भरते हैं ट्रंप बाबा
नाम मिलने के बाद उन्होंने खुद को ट्रंप बाबा के रूप में ही प्रचारित करना शुरू कर दिया. गुरु के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप जितनी शिद्दत और मेहनत के साथ अमेरिका का शासन चला रहे थे, उतनी ही होशियारी से कंचन बाबा उनके आश्रम को संभाल रहे थे. डोनाल्ड ट्रंप की तरह तेज तर्रार होने के कारण ही गुरु ने उन्हें ट्रंप बाबा का नाम दिया. ट्रंप बाबा आश्रम की व्यवस्थाओं को संभालने के साथ ही कई घंटे पूजा और साधना में बिताते हैं. कभी-कभी बाइक पर फर्राटा भरते हुए भी नजर आते हैं.