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नीति आयोग के सीईओ बोले- भारत में 'बहुत ज्यादा लोकतंत्र', कठिन सुधार मुश्किल - amitabh kant

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (नीति आयोग) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा है कि भारत में कठिन सुधारों को अंजाम देना मुश्किल है, क्योंकि देश में 'बहुत ज्यादा लोकतंत्र है.' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश में और अधिक सुधारों की जरूरत है ताकि देश को प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके.

नीति आयोग सीईओ
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Published : Dec 8, 2020, 8:25 PM IST

नई दिल्ली : नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा है कि भारत में 'कुछ ज्यादा ही लोकतंत्र है' जिसके कारण यहां कड़े सुधारों को लागू करना कठिन होता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए और बड़े सुधारों की जरूरत है. कांत ने कहा कि देश को सतत और बेहतर तरीके से नियोजित शहरीकरण की ओर बढ़ना है जो वृद्धि के लिहाज से प्रमुख साबित होगा.

मंगलवार को स्वराज्य पत्रिका के कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए कांत ने कहा कि पहली बार केंद्र ने खनन, कोयला, श्रम, कृषि समेत विभिन्न क्षेत्रों में कड़े सुधारों को आगे बढ़ाया है. अब राज्यों को सुधारों के अगले चरण को आगे बढ़ाना चाहिए.

कई और सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत

उन्होंने कहा, 'भारत के संदर्भ में कड़े सुधारों को लागू करना बहुत मुश्किल है. इसकी वजह यह है कि भारत में लोकतंत्र कुछ ज्यादा ही है ... आपको इन सुधारों (खनन, कोयला, श्रम, कृषि) को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है और अभी भी कई सुधार हैं, जिन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है.'

सुधारों की पहल करें राज्य सरकारें

कांत ने कहा, 'इस सरकार ने कड़े सुधारों को लागू करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखायी है.' उन्होंने यह भी कहा कि कड़े सुधारों के बिना चीन से प्रतिस्पर्धा करना आसान नहीं है. नीति आयोग के सीईओ ने इस बात पर जोर दिया कि अगले दौर के सुधार में अब राज्यों को आगे आना चाहिए.

सस्ती बिजली उपलब्ध करानी चाहिए

उन्होंने कहा, 'अगर 10-12 राज्य उच्च दर से वृद्धि करेंगे, तब इसका कोई कारण नहीं कि भारत उच्च दर से विकास नहीं करेगा. हमने केंद्र शासित प्रदेशों से वितरण कंपनियों के निजीकरण के लिए कहा है. वितरण कंपनियों को अधिक प्रतिस्पर्धी होना चाहिए और सस्ती बिजली उपलब्ध करानी चाहिए.'

एमएसपी से छेड़छाड़ नहीं

मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के किसानों के नए कृषि कानूनों को लेकर विरोध-प्रदर्शन से जुड़े सवाल के जवाब में कांत ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'यह समझना जरूरी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था बनी रहेगी, मंडियों में जैसे काम होता है, होता रहेगा.. किसानों के पास अपनी रूचि के हिसाब से अपनी उपज बेचने का विकल्प होना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें लाभ होगा.

भारत में इलेक्ट्रिक बैटरियों के विनिर्माण के लिए कच्चे माल की खरीद के बारे में अमिताभ कांत ने कहा कि लिथियम (बैटरी विनिर्माण में उपयोग होने वाला) की उपलब्धता आस्ट्रेलिया समेत पूरी दुनिया में है. उन्होंने कहा, 'हमें लिथियम की कमी की कोई आशंका नहीं है.'

उत्पादन आधारित प्रोत्साहन पर जोर

मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के बारे में उन्होंने कहा कि यह खुद में सिमटने की बात नहीं है बल्कि भारतीय कंपनियों की क्षमता, संभावनों को बाहर लाने के लिए है. अमिताभ कांत ने कहा कि सरकार ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) के लिए 10 क्षेत्रों की पहचान की है. ये क्षेत्र भारत को विनर्माण केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और देश के लिए पैमाने की मितव्ययिता लाएंगे.

लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने की जरूरत

उन्होंने कहा, 'पीएलआई योजना इन क्षेत्रों में निर्यात को लेकर 4 से 5 साल के लिए बड़ा अवसर उपलब्ध कराने जा रही है.' कांत ने कहा कि भारत को प्रौद्योगिकी के मामले में लंबी छलांग लगाने की जरूरत है. देश के लिए उभरते क्षेत्रों में आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है. उन्होंने देश में 'लॉजिस्टिक' लागत में कमी लाने की जरूरत को भी रेखांकित किया.

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