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Tokyo Paralympic Games 2020 : भारत के 54 एथलीट मेडल के लिए मैदान में, 9 खेलों में दिखाएंगे दम

आज से टोक्यो 2021 पैरालंपिक गेम्स शुरू हो रहे हैं, जिसमें 22 खेलों की 540 स्पर्धाएं देखने को मिलेंगी. 4 सितंबर तक 54 भारतीय खिलाड़ी 9 खेलों के 63 इवेंट्स में अपना दमखम आजमाएंगे. ओलंपिक 2021 में सात मेडल जीतने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि टोक्यो पैरालंपिक भी भारत के लिए गोल्डन ही रहेगा.

Tokyo Paralympic Games 2020
Tokyo Paralympic Games 2020

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Published : Aug 24, 2021, 12:17 AM IST

Updated : Aug 24, 2021, 9:21 AM IST

हैदराबाद : 24 अगस्त 2021 से टोक्यो में एक बार फिर खेल की दुनिया में हैरतअंगेज रेकॉर्डस बनेंगे और टूटेंगे. टोक्यो में मंगलवार शाम भारतीय समयानुसार 16:30 बजे यानी शाम 4:30 पैरालंपिक गेम्स का आगाज होगा. जापान के राजा नारुहितो खेलों की शुरुआत की घोषणा करेंगे. भारत की तरफ से ओपनिंग सेरेमनी में पांच एथलीट ध्वजवाहक मरियप्पन थंगावेलु, डिस्कस थ्रोअर विनोद कुमार, जेवलिन थ्रो प्लेयर टेक चंद और पावरलिफ्टर सकीना खातून और जयदीप शामिल होंगे.

5 सितंबर तक होंगे मुकाबले, 4 तक रहेगी मेडल की उम्मीद

टोक्यो पैरालंपिक में मुकाबले 5 सितंबर तक होंगे. इसमें 163 देशों के लगभग 4500 एथलीट 22 खेलों के 540 स्पर्धाओं में भाग लेंगे. भारत की ओर से 54 सदस्यीय दल टोक्यो पैरालंपिक में भाग लेगा. यह भारत की ओर से पैरालंपिक में जाने वाला सबसे बड़ा दल है. टोक्यो में भारतीय पैरा एथलीट टेबल टेनिस, तैराकी, तीरंदाजी, केनोइंग, एथलेटिक्स, निशानेबाजी, बैडमिंटन, पावरलिफ्टिंग और ताइक्वांडो इवेंट में भाग लेंगे. ओपनिंग सेरेमनी में भारत का प्रतिनिधित्व 11 सदस्यीय दल करेगा, जिसमें पांच खिलाड़ी होंगे. कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण खेल के दौरान ओलंपिक की तरह दर्शकों की मौजूदगी नहीं होगी.

सोमिटी 2020 ग्रीष्मकालीन पैरालिंपिक का आधिकारिक शुभंकर है. 2020 में 7000 छात्रों की वोटिंग के बाद 30 नामों में से सोमिटी का नाम चुना गया था.

कौन हैं भारतीय सितारे, जिनसे है पदक की उम्मीद

देवेंद्र झाझरिया (Devendra Jhajharia) : जेवलिन थ्रो में दो बार गोल्ड मेडल जीत चुके देवेंद्र झाझरिया से फिर पदक की उम्मीद है. 12 साल पहले एथेंस पैरालंपिक खेलों में उन्होंने पहली बार गोल्ड मेडल जीता था. रियो पैरालंपिक खेलों में झाझरिया ने 63.97 मीटर भाला फेंककर गोल्ड मेडल जीता.

मरियप्पन थंगावेलु (Mariyappan Thangavelu) : थंगावेलु ने रियो खेलों में हाई जंप में 1.89 मीटर कूद लगाकर गोल्ड मेडल जीता. तमिलनाडु के सलेम के रहने वाले थंगावेलु देश के तीसरे गोल्ड मेडलिस्ट पैरालंपियन बने.

देवेंद्र झाझरिया (Devendra Jhajharia) दो आयोजनों में गोल्ड जीत चुके हैं

इसके अलावा तीरंदाजी और निशानेबाजी से भी भारत पदक की उम्मीद कर रहा है. तीरंदाजी में भारत की ओर से हरविंदर सिंह, विवेक चिकारा, राकेश कुमार, श्याम सुंदर स्वामी और ज्योति बालियान जोर आजमाएंगी. बैडमिंटन में प्रमोद अंतिल और जैवलिन थ्रो के एथलीट सुमित अंतिल भी पदकों के दावेदार में शामिल हैं. पावर लिफ़्टिंग (50 किलोग्राम) इवेंट में सकीना खातून पर भी खेल प्रशंसकों की नजरें टिकी हैं.

भारत का पैरालंपिक में सफर

पैरालंपिक खेलों की शुरुआत 1960 में हुई थी. भारतीय खिलाड़ियों ने 1968 से इस आयोजन में प्रतिभाग करना शुरू किया. तब भारत ने 10 एथलीटों को भेजा था, जिनमें आठ पुरुष और दो महिलाएं शामिल थीं. पहले पैरालंपिक में भारत को एक भी मेडल हासिल नहीं हुआ था. 52 साल के पैरालंपिक के सफर में भारत अबतक12 मेडल जीते हैं, जिसमें चार गोल्ड, चार सिल्वर और इतने की ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं.

मरियप्पन थंगावेलु (Mariyappan Thangavelu) से भी मेडल की उम्मीद की जा रही है

1972 में खाता खुला, मुरलीकांत पेटकर जीता था गोल्ड

1972 में जर्मनी के हीडलबर्ग गेम्स में भारत ने पैरालिंपिक में अपना पहला पदक जीता. इस आयोजन में 42 देशों के खिलाड़ियों ने शिरकत की थी. तब स्विमर मुरलीकांत पेटकर ने 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी में देश के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता. उन्होंने इस कैटिगरी में 37.331 सेकंड का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था.

दीपा मलिक भी भारत के लिए रजत पदक जीत चुकी हैं

1984 के न्यूयार्क पैरालंपिक में जोगिंदर सिंह बेदी कई इवेंट्स में शामिल होने वाले और पदक जीतने वाले खिलाड़ी बने. जोगिंदर सिंह ने गोला फेंक इवेंट में सिल्वर मेडल जीता था. उन्होंने चक्का और भाला फेंक इवेंट में भी ब्रॉन्ज मेडल जीते थे. इसके अलावा भीमराव केसरकर ने जैवलिन थ्रो में सिल्वर मेडल जीता था. इसके बाद काफी दिनों तक पैरालंपिक में भी मेडल का सूखा पड़ा रहा.

एथेंस पैरालंपिक 2004 में देवेंद्र झाझरिया ने जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर पैरालंपिक खेलों में 20 साल बाद भारतीय प्रशंसकों को खुश होने का मौका दिया. इसके अलावा राजिंदर सिंह राहेलू राहेलू ने पावरलिफ्टिंग में पुरुषों के 56 किग्रा कैटिगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. 2012 के लंदन पैरालंपिक में गिरीशा नागराजेगौड़ा मेडल जीतने वाले इकलौते भारतीय रहे. उन्होंने हाई जंप में सिल्वर मेडल जीता था.

उत्तरप्रदेश में गौतमबुद्धनगर के डीएम हैं सुहास एल

2016 के रियो पैरालंपिक में भारतीयों ने किया कमाल

2016 रियो पैरालंपिक में भारत ने पांच खेलों में 19 एथलीट भेजे थे. तब इसे भारतीय पैरालंपिक इतिहास का सबसे बड़ा दल कहा गया. रियो में भारत ने चार मेडल जीते थे, जिनमें दो गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज शामिल था. पुरुषों की हाई जंप में मरियप्पन थंगावेलु और जेवलिन थ्रो में देवेंद्र झाझरिया ने स्वर्ण पदक जीता था. दीपा मलिक ने गोला फेंक में सिल्वर मेडल जीता था. ऊंची कूद में वरुण सिंह भाटी ने ब्रॉन्ज पर कब्जा किया था.

पैरालंपिक गेम्स ( (Paralympic Games) सर लुडविग गटमैन (Sir Ludwig Guttmann) की देन है. जर्मन-ब्रिटिश मूल के न्यूरोलॉजिस्ट थे. अशक्त लोगों के लिए उन्होंने पहले एक खेल प्रतियोगिता स्टोक मैंडविल गेम्स शुरू की थी. 1952 आते-आते स्टोक मैंडविल गेम्स में कई देशों के 130 खिलाड़ी शामिल होने लगे.1960 के रोम ओलंपिक के बाद लुडविग गटमैन के प्रयासों के कारण पैरालंपिक का आयोजन हुआ. पैरालिंपिक आदर्श वाक्य 'स्पिरिट इन मोशन' है.

नोएडा के डीएम भी खेलेंगे बैडमिंटन

इस आयोजन में एक आईएएस ऑफिसर सुहास एलवाई (Suhas L. Yathiraj) भी हिस्सा ले रहे हैं. सुहास अभी नोएडा के डीएम हैं. वह बैडमिंटन में भारत की तरफ से जोर आजमाइश करेंगे. सुहास एशियन पैरालंपिक के अलावा ब्राजील ओपन (जनवरी 2020) और पेरू ओपन (फरवरी 2020) में गोल्ड जीत चुके हैं.

Last Updated : Aug 24, 2021, 9:21 AM IST

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