नई दिल्ली: भारत पहली बार मंगलवार को कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के एक सम्मेलन की मेजबानी करेगा. इस सम्मेलन में अफगानिस्तान में उभरती सुरक्षा स्थिति और उस देश से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे से निपटने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है. उन्होंने सोमवार को कहा कि पहले भारत-मध्य एशिया आभासी शिखर सम्मेलन के लगभग 10 महीने बाद होने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तरीय सम्मेलन में अन्य मुद्दों के साथ मध्य एशियाई क्षेत्र के साथ भारत की कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया जाएगा.
पढ़ें: मुर्मू ने नौसेना के ध्वज के नये डिजाइन को मंजूरी दी
अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति पर बढ़ती चिंताओं के बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के इस बैठक से इतर अपने समकक्षों के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें करने की संभावना है. तुर्कमेनिस्तान के एनएसए बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे. उनके देश का प्रतिनिधित्व भारत में उनके राजदूत करेंगे. पिछले साल नवंबर में भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति पर एक क्षेत्रीय वार्ता की मेजबानी की थी, जिसमें रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के एनएसए ने भाग लिया था. लेकिन यह पहली बार है जब भारत मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की मेजबानी कर रहा है.
पढ़ें: कांग्रेस में बड़ा फेरबदल: सुखजिंदर सिंह रंधावा को मिली राजस्थान की जिम्मेदारी
एक सूत्र ने कहा कि भारत मध्य एशियाई देशों को एशिया का दिल मानता है. ये देश शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य भी हैं. हम व्यापक तरीके से सहयोग को आगे बढ़ाना चाहते हैं. यह बैठक भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है. सूत्रों ने कहा कि अफगानिस्तान से पनपने वाले आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभाव को लेकर भारत और मध्य एशियाई देशों की साझा चिंताएं हैं. उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति और उस देश में उभरती गतिशीलता पर विचार-विमर्श होगा.
पढ़ें: गोल्डी बराड़ का कथित साक्षात्कार सामने आया, दावा- अमेरिकी पुलिस ने हिरासत में नहीं लिया
भारत और मध्य एशियाई देशों के क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता में साझा हित हैं. कई मध्य एशियाई देश अफगानिस्तान के साथ भूमि सीमा साझा करते हैं और पिछले साल अगस्त में काबुल में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद से उनकी चिंताएं बढ़ी हैं. सूत्रों ने कहा कि मध्य एशियाई देश सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन और विभिन्न आतंकवादी समूहों से इसके संबंधों से अवगत हैं. लेकिन कुछ कारणों से, ये देश सार्वजनिक रूप से आतंकवाद का समर्थन करने वाले समूहों या देश का नाम नहीं लेते हैं.
पढ़ें: हमें भारतीय मोटे अनाज के लिए नए बाजारों की तलाश करनी चाहिएः गोयल