कोलकाता : पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congres) ने हिंसा के व्यापक आरोपों के बावजूद बुधवार को त्रिस्तरीय पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव 2023 में शानदार जीत दर्ज की. सत्तारूढ़ दल 63,229 ग्राम पंचायतों में से 34,980 और 6467 पंचायत समितियों के अलावा 928 जिला परिषदों में से 685 में अपना प्रभुत्व जमाते हुए ग्रामीण स्थानीय सरकार के सभी तीन स्तरों में बहुमत हासिल करके स्पष्ट विजेता के रूप में उभरा है. दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आधिकारिक तौर पर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बहुत पीछे चल रही है, केवल 9750 ग्राम पंचायतें, 990 पंचायत समितियां और 21 जिला परिषदें ही हासिल कर पाई है.
बता दें कि पंचायत चुनाव, जिन्हें अक्सर राजनीतिक दलों के लिए लोकप्रियता की अग्निपरीक्षा के रूप में माना जाता है. इस वजह से यह अतिरिक्त महत्व रखते हैं, क्योंकि ये नतीजे विशेष रूप से आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों में तृणमूल सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पक्ष में प्रभाव डाल सकते हैं. ममता बनर्जी ने पार्टी को मिले जबरदस्त समर्थन के लिए पश्चिम बंगाल के लोगों को बधाई दी है. मुख्यमंत्री ने मंगलवार को ही अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'ग्रामीण बंगाल में हर तरह से टीएमसी है. मैं टीएमसी के प्रति लोगों के प्यार, स्नेह और समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहती हूं. इस चुनाव ने साबित कर दिया है कि राज्य के लोगों के दिल में केवल टीएमसी ही बसती है.'
हालांकि, इन परिणामों की घोषणा से पहले की चुनावी प्रक्रिया व्यापक हिंसा से प्रभावित हुई थी. वहीं 8 जुलाई को हुए मतदान में हिंसा और व्यवधान की घटनाएं सामने आईं थी. इसके बाद सोमवार को हुए पुनर्मतदान के दौरान भी स्थिति और बिगड़ गई थी जिसकी वजह से करीब 20 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं चुनावी धोखाधड़ी, बूथ कैप्चरिंग सहित विभिन्न अनियमितताओं के गंभीर आरोपों के बीच 696 बूथों पर पुनर्मतदान कराया गया था.
चुनाव प्रक्रिया के दौरान हिंसा की घटनाओं में मुर्शिदाबाद में एक मतगणना केंद्र के पास विस्फोट के साथ ही हावड़ा में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस द्वारा लाठी चार्ज करना पड़ा था. हालांकि विपक्षी भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस पर चुनाव परिणामों में हेरफेर करने के लिए हताशापूर्ण उपायों का सहारा लेने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल के गुंडों ने विपक्षी पर्यवेक्षकों, मतगणना एजेंटों और उम्मीदवारों को मतगणना केंद्रों में प्रवेश करने से रोका जिससे चुनावी प्रक्रिया की अखंडता कमजोर हुई. विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने उन उदाहरणों का हवाला देते हुए तृणमूल की रणनीति की आलोचना की, जहां गिनती एजेंटों को रोका गया और उन्हें डराने के लिए बम फेंके गए.
इन आरोपों के जवाब में, तृणमूल कांग्रेस ने दावों का खंडन किया है और कहा है कि चुनावी हिंसा के दौरान मारे गए लोगों का एक बड़ा प्रतिशत वास्तव में उनकी भाजपा के कार्यकर्ता या समर्थक थे. तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'भाजपा, सीपीआईएम और कांग्रेस के संयुक्त विपक्ष की निराशा उस दुख की तुलना में कम है जो मुख्यधारा के मीडिया के दोस्तों द्वारा महसूस किया जाना चाहिए. यहां तक कि पश्चिम बंगाल में एआईटीसी राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए निराधार प्रचार वाला दुर्भावनापूर्ण अभियान भी मतदाताओं को प्रभावित नहीं कर सका.'
हालांकि बड़े पैमाने पर हिंसा और मतपेटियों के साथ छेड़छाड़ के आरोपों ने चुनावी प्रक्रिया के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं. इसी के मद्देनजर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक रिपोर्ट सौंपी है. राज्यपाल बोस ने हिंसा भड़काने और चुनाव में बाधा डालने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी चेतावनी दी है. फिलहाल तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में अपनी प्रचंड जीत का जश्न मना रही है. हालांकि, व्यापक हिंसा और चुनावी अनियमितताओं के आरोपों ने नतीजों पर सवालिया निशान लगा दिया है. वहीं चुनावों के नतीजों का पश्चिम बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की संभावना है और यह आगामी राष्ट्रीय चुनावों की दिशा को प्रभावित कर सकता है.
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