नई दिल्ली : एक-एक पल कीमती है. जैसे-जैसे समय बीत रहा है, उनके बचने की संभावनाएं क्षीण होती जा रही हैं. 12 हजार फीट गहरे समुद्र में कहीं पनडुब्बी टाइटन या तो फंसा हुआ है या फिर गहराई में कहीं गुम हो गया है. रूसी एक्सपर्ट ने दावा किया है कि किसी भी यात्री की जान नहीं बची है. एक्सपर्ट ने कहा कि मात्र 90-96 घंटे तक का ऑक्सीजन उपलब्ध है और वह अवधि समाप्त हो चुकी है. बता दें कि इस पनडुब्बी में पांच लोग सवार हैं, इनमें शहज़ादा दाऊद और उनके बेटे सुलेमान दाऊद के अलावा पॉल हेनरी नार्जियोले, हेमिश हार्डिंग और स्टॉकटन रश शामिल हैं. अमेरिकी तटरक्षक के अनुसार लापता पनडुब्बी को ढूंढने के दौरान टाइटैनिक के पास मलबा मिला है.
किसी को भी कोई भी अंदाजा नहीं है, आखिल टाइटन पनडुब्बी कहां गया. इस पर कुल पांच लोग सवार हैं. टाइटन रविवार से ही गायब है. यह अटलांटिक महासागर में गायब हुई है. कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पनडुब्बी को रडार से डिटेक्ट नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह कहीं पर फंसा हुआ है और संभवतः कीचड़ में. रविवार को जिस समय पनडुब्बी से कनेक्शन टूटा था, उस समय यह समुद्र तल से दो हजार मीटर की गहराई पर था.
रूसी एक्सपर्ट इगोर कुर्डिन नौसेना विशेषज्ञ हैं. उनका दावा है कि बहुत संभव है कि पनडुब्बी समुद्र तल पर हो या फिर यह ऊपर आते समय दबाव बढ़ने की वजह से इसमें पानी भर गया हो. रूसी एक्सपर्ट से पहले एक और विशेषज्ञ ने दावा किया है कि पनडुब्बी पर सवार यात्रियों की मौत हो चुकी है. वह पूर्व कमांडिंग ऑफिसर एंडी कोल्स हैं. उनका कहना है कि हाइपोथर्मिया की वजह से उनकी मौत पहले ही हो चुकी होगी. उन्होंने कहा कि जिस गहराई तक पनडुब्बी गया था, उस गहराई में काफी ठंड होती है. यह पनडुब्बी अंदर से बंद है. वे चाहकर भी इसे नहीं खोल सकते हैं. साथ ही इसमें कोई ऊर्जा नहीं बची होगी, इसलिए उनका इस पर कोई नियंत्रण नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि पनडुब्बी के अंदर बैठे हुए सभी व्यक्ति कार्बनडायक्साइड छोड़ेंगे, और उसे बाहर नहीं निकाला जाएगा, तो दम घुटने से ही उनकी मृत्यु हो गई होगी. कोल्स ने कहा कि इसमें जिस बैटरी का इस्तेमाल किया गया है, वह बहुत ज्यादा देर तक साथ नहीं देता है.
इस रोंगेटे खड़ा करने देने वाले प्रकरण ने 1912 के टाइटैनिक प्रकरण की याद दिला दी, जिसमें 1500 से अधिक लोग मारे गए थे. यह पनडुब्बी टाइटैनिक के मलबे को दिखाने का काम करती है. इसके लिए एक यात्री को दो करोड़ रुपये देने होते हैं.