नर्मदापुरम। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को प्रबंधन के मामले में देश में दूसरा स्थान मिला है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को दूशरा स्थान बेहतर प्रबंधन, बेहतर मैनेजमेंट, बेहतर टीम के चलते हासिल हुआ है. देशभर में एसटीआर दूसरे स्थान पर है पहले स्थान पर केरला का पेरियार (MEE Score 94.38%) , तो वहीं दूसरे स्थान पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश और बांदीपुर कर्नाटक (MEE Score 93.18%) मिला है. कर्नाटक के नागरहोल (MEE Score 92.42%) को तीसरा स्थान मिला है. बता दें रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने पर बाघों से जुड़े आकड़े पेश किए. प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत एक अप्रैल 1973 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने की थी.
एसटीआर में बेहतर मैनेजमेंट:टाइगर रिजर्व के 50 साल होने पर आंकड़े जारी किए गए हैं. जिसमें प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है. बेहतर प्रबंधन एवं बेहतर मैनेजमेंट के चलते पूरी टीम के सहयोग से यह है मुकाम एसटीआर ने हासिल किया है. एसटीआर क्षेत्र में बाघों के बेहतर प्रबंधन के लिए एसटीआर ने बेहतर काम किए हैं. इस वन्य परिक्षेत्र क्षेत्र में हिमालय में पाई जाने वाली वनस्पतियों में 26 प्रजातियां और नीलगिरि के वनों में पाई जाने वाली 42 प्रजातियां सतपुड़ा वन क्षेत्र में भी भरपूर पाई जाती हैं. इसलिये विशाल पश्चिमी घाट की तरह इसे उत्तरी घाट का नाम भी दिया गया है. कुछ प्रजातियां जैसे कीटभक्षी घटपर्णी, बांस, हिसालू, दारूहल्दी सतपुड़ा और हिमालय दोनों जगह मिलती हैं. इसी तरह पश्चिमी घाट और सतपुड़ा दोनों जगह जो प्रजातियां मिलती हैं उनमें लाल चंदन मुख्य हैं. सिनकोना का पौधा, जिससे मलेरिया की दवा कुनैन बनती है, यहां बड़े संकुल में मिलता है.