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द कश्मीर फाइल्स : 13 दिनों में तय किया सिसकियों से सियासत तक का सफर

11 मार्च 2022 द कश्मीर फाइल्स जब रीलीज हुई तो सिनेमाघरों मे रोते-बिलखते दर्शकों की तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए. सिनेमाघरों में भारत माता की जय के नारे भी गूंजे. फिल्म जब बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी की सीढियां चढ़ती गई तो सिसकियां खामोश हो गईं, फिर इसके समर्थन और विरोध में उठने वाली आवाजें सुनाई देने लगीं. जानिए कश्मीर फाइल्स की इस कामयाबी के पीछे का राज क्या है.

The kashmir files
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Published : Mar 23, 2022, 9:25 PM IST

Updated : Mar 23, 2022, 9:49 PM IST

नई दिल्ली : कश्मीरी पंडितों के दर्द पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स बॉक्स ऑफिस पर लगातार नए रेकॉर्ड बना रही है. इस फिल्म के किरदार ब्रह्म दत्त, कृष्णा पंडित, राधिका मेनन, पुष्कर नाथ के नाम उसी तरह पॉपुलर हो रहे हैं, जैसे शोले के जय-बीरू और गब्बर के उस दौर में हुए थे. कहानी का किरदार कलाकार से ज्यादा तारीफ बटोर रहा है. मगर इस फिल्म की सफलता के साथ विवाद भी बढ़ रहे हैं.

बीजेपी शासित 10 राज्यों में यह फिल्म टैक्स फ्री कर दी गई है तो दूसरी ओर कांग्रेस शासित राजस्थान के कोटा में फिल्म के कारण धारा-144 लगा दी गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना के बाद अन्य सभी दलों के राजनेताओं ने इस पर प्रतिक्रिया दी. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह समेत बीजेपी नेता इसके समर्थन में आ गए तो छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने इस फिल्म के तथ्यों को नकार दिया. 90 के दशक में मुख्यमंत्री रहे फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर से पंडितों के पलायन के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार और गवर्नर जगमोहन को जिम्मेदार बता दिया.

फिल्म के समर्थन और विरोध में बॉलीवुड भी बंटा है. आमिर खान, अजय देवगन, अक्षय कुमार,रितेश देशमुख और सुनील शेट्टी ने इस मूवी की तारीफ की है तो अनुराग कश्यप ने इसकी आलोचना की. कई बड़े सितारों ने इस पर चुप्पी साध रखी है. देश के कई हिस्सों में फिल्म देखने को लेकर झगड़े भी हुए. फिलहाल लोकप्रियता के कारण द कश्मीर फाइल्स देश के 4000 सिनेमाघरों में चल रही है. अभी तक मिले आंकड़ों के अनुसार इस फिल्म ने 200 करोड़ के क्लब में एंट्री कर ली है.

फिल्म की लागत में एक्टर की फीस ज्यादा

इस फिल्म की लागत 19 करोड़ रुपये ही जा रही है. इसमें बड़ा हिस्सा कलाकारों की फीस में गया है. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, पुष्करनाथ का किरदार निभाने वाले अनुपम खेर ने इस रोल के लिए 1 करोड़ फीस ली है. डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री की पत्नी पल्लवी जोशी राधिका मेनन की भूमिका में दिखीं. इस रोल के लिए पल्लवी ने 50 से 70 लाख रुपये चार्ज किए किए हैं. कृष्णा पंडित का रोल निभाने वाले एक्टर दर्शन कुमार 45 लाख रुपये बतौर फीस ली है. मिथुन चक्रवर्ती ने 1.5 करोड़ फीस ली. इसके अलावा पुनीस इस्सर ने 50 लाख की फीस ली है.

4000 घंटे के रिसर्च का दावा

आलोचकों का कहना है कि इस फिल्म में कश्मीर से पंडितों के पलायन की एकतरफा कहानी दिखाई गई है. हिंसा वाले क्रूरतम दृश्य मनगढ़ंत हैं. फिल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने अपनी फिल्म का बचाव किया है और इसे पूरी तरह से तथ्यों के आधार पर बना बताया है. इसका जवाब देते हुए पल्लवी जोशी ने कहा कि इस फिल्म को बनाने से पहले दुनिया भर में घूम-घूम कर रिसर्च की गई. पल्लवी ने कहा कि हम दुनिया भर में गए, यूएसए, यूके, जर्मनी, सिंगापुर, जम्मू और कश्मीर, पुणे, थाईलैंड, दिल्ली. इसके लिए टीम ने किताबों, पत्रकारों की लघु फिल्मों का अध्ययन किया. करीब सात सौ से ज्यादा परिवारों से बात की गई. रिसर्च में अमेरिका में रह रहे विस्थापित डा. सुरेंद्र कौल ने काफी मदद की. पल्लवी ने दावा कि रिसर्च टीम ने पीड़ित परिवारों के खुशहाल बचपन से लेकर इस त्रासदी तक के बारे में पूरी जानकारी ली. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास 4,000 घंटे के रिसर्च वीडियो हैं, जो उन्होंने फिल्म बनाने से पहले बनाए थे.

राधिका मेनन की किरदार में पल्लवी जोशी. माना जा रहा है कि उनका यह किरदार अरुंधति राय या जेएनयू की प्रोफेसर निवेदिता मेनन पर आधारित है.

कौन हैं असल में जेएनयू राधिका मेनन

द कश्मीर फाइल्स में पल्लवी जोशी ने राधिका मेनन का किरदार निभाया है, जो जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की एक प्रोफेसर हैं. उनका कैरेक्‍टर JNU स्‍टूडेंट्स को 'आज़ाद कश्मीर' की लड़ाई लड़ने के लिए भड़काता नजर आता है. वह फिल्म के लीड कैरेक्‍टर 'कृष्‍णा पंडित' का ब्रेनवॉश भी करती हैं. पल्लवी ने अपने इंटरव्यू में कहा कि जब उन्होंने कश्मीरी पंडितों के ट्रॉमा को देखा तो यह फैसला किया कि वह अपना कैरेक्टर इतनी इमानदारी से निभाएंगी कि हर भारतीय उनसे नफरत करेगा. माना जाता है कि पल्‍लवी जोशी का कैरेक्‍टर असल में जेएनयू की प्रोफेसर निवेदिता मेनन पर आधारित है. 2016 में निवेदिता के जेएनयू छात्रों के बीच कश्मीर को लेकर दिए गए भाषण पर विवाद हुआ था. निवेदिता मेनन जेएनयू में आने से पहले 15 साल तक लेडी श्रीराम कॉलेज में प्रोफेसर रही हैं. हालांकि कई लोग उनकी किरदार की तुलना अरुंधति राय से कर रहे हैं.

फिलहाल लगातार उठ रहे सवालों का डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने जवाब दिया है. अग्निहोत्री ने कहा कि आधा सच के बारे में बोलने का हक उसी को है, जो पूरा सच जानता हो. यह दुनिया मानवता वालों और आतंकवाद वाले वर्गों में बंटी हुई है. मानवता वाले लोग लाइन लगाकर इस फिल्म को देख रहे हैं जबकि आतंकवाद वाले लोग इसके खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं.

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Last Updated : Mar 23, 2022, 9:49 PM IST

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