हैदराबाद :सुपर मून, ब्लड मून और पूर्ण चंद्र ग्रहण के बाद अब आकाश में इस साल का पहला सूर्य ग्रहण आज दिखेगा. इस दिन ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या है. इसके अलावा इस दिन कई अद्भुत संयोग भी हैं जो फलदायक होंगे.
सूर्य ग्रहण दोपहर 01.42 बजे से शाम 06.41 बजे तक रहेगा. साल 2021 का यह पहला सूर्य ग्रहण है. साथ ही ग्रहण वृषभ राशि में लग रहा है. जाहिर है, इन राशि वालों को विशेष सावधानी की जरूरत है. हालांकि ग्रहण को भारत में इसे आंशिक रूप से ही देखा जा सकेगा. लेकिन अरुणाचल प्रदेश से इसे देखा जा सकेगा. वहीं उत्तरी अमेरिका, कनाडा, यूरोप, रूस और कनाडा में इसे पूरा देखा जा सकेगा.
इस बार सूतक नहीं लगेगा. क्योंकि आंशिक सूर्य ग्रहण लगने की वजह से सूतक के नियम लागू नहीं होंगे. वहीं जब भी पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है, तब सूतक के नियम लागू होते हैं. यह ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है. आंशिक ग्रहण होने के वजह से मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं होंगे.
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हालांकि 10 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण को 'रिंग ऑफ फायर' भी कहा जा रहा है. ऐसा तभी होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है. इसे 'खंडग्रास' भी कहते हैं.
रिंग ऑफ फायर क्यों
दरअसल, वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से सबसे दूर होता है. ग्रह से इसकी दूरी के कारण, चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह से अवरुद्ध करने में असमर्थ है. इसलिए सूर्य का प्रकाश चंद्रमा के चारों ओर बने 'रिंग ऑफ फायर' के रूप में प्रकट होता है. इस साल दूसरा सूर्यग्रहण चार दिसंबर को लगेगा.
सूर्य ग्रहण क्या होता है
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है. जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आता है, तो इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है. चंद्रमा के बीच में आ जाने से कुछ समय के लिए हमें सूर्य दिखाई नहीं देता है. या दिखाई देगा, तो वह आंशिक रूप से दिखाई देगा. चंद्रमा सूर्य की कुछ या पूरी रोशनी रोक लेता है, जिससे धरती पर साया फैल जाता है. यह घटना अमावस्या को ही होती है.
सूर्य ग्रहण एक साथ कई अद्भुत संयोग
10 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण एक साथ कई अद्भुत संयोग और शुभ फल लेकर भी आया है. रोहिणी व्रत, वट सावित्री व्रत, अमावस्या, शनि जयंती इस दिन पड़ रही है. गुरुवार को वट सावित्री भी है. इस दिन सुहागिनें हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री का व्रत (vat savitri vrat) रखती हैं.
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महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. परिक्रमा करके वट सावित्री व्रत कथा सुनती हैं और पति की लंबी आयु का वरदान मांगती हैं. बरगद को देव वृक्ष भी कहते हैं. कहते हैं बरगद के पेड़ पर त्रिदेव निवास करते हैं. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को किया जाता है. कथा है कि इस दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाई थीं.
इन मंत्रों का करें जाप
वट सावित्री के दिन मंगल ग्रह पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. इस दिन भगवान शंकर का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक करना शुभ माना गया है. वट सावित्री के दिन शिव चालीसा का पाठ करना, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ के अलावा शिव पंचाक्षरी मंत्र (ॐ नम: शिवाय) का जाप करना विशिष्ट माना जाता है. सोम प्रदोष के दिन से वट वृक्ष की परिक्रमा शुरू कर दी जाती है. वट वृक्ष की परिक्रमा करने और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
मनाई जाएगी शनि जयंती
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है. इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है. भगवान की पूजा से सारे कष्ट दूर होते हैं.