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Chardham Yatra 2022: तीन मई को खुलेंगे यमुनोत्री धाम के कपाट - यमुनोत्री मंदिर समिति व तीर्थ पुरोहितों की बैठक

मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खरसाली गांव स्थित यमुना मंदिर में यमुनोत्री मंदिर समिति एवं तीर्थ पुरोहितों की आज गुरुवार को बैठक हुई. इसमें यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने का मुहूर्त निश्चित किया गया.

Yamunotri temple committee and pilgrimage priests meeting
यमुनोत्री मंदिर समिति एवं तीर्थ पुरोहितों की बैठक

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Published : Apr 7, 2022, 4:00 PM IST

उत्तरकाशी:चार धामों में पहले धाम यमुनोत्री के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए आगामी 3 मई को दोपहर 12.15 बजे खुलेंगे. इसी दिन सुबह मां यमुना की उत्सव मूर्ति को डोली यात्रा के साथ खरसाली से यमुनोत्री धाम ले जाया जाएगा. ऐसे में आज यमुना जयंती के मौके पर यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने की का मुहूर्त तय किया गया.

वहीं मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खरसाली गांव स्थित यमुना मंदिर में यमुनोत्री मंदिर समिति एवं तीर्थ पुरोहितों की आज गुरुवार को बैठक हुई, जिसमें यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने का मुहूर्त तय किया गया. जिसके अनुसार आगामी 3 मई को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर सुबह 8.30 बजे यमुना जी की डोली खरसाली से यमुनोत्री धाम के लिए प्रस्थान करेगी. यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने बताया कि दोपहर 12.15 बजे कर्क लग्न अभिजीत मुहूर्त में यमुनोत्री मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे. मां यमुना की डोली को विदा करने के लिए उनके भाई शनिदेव की डोली भी यमुनोत्री धाम जाएगी.

अक्षय तृतीया पर दोपहर 12.15 बजे खुलेंगे यमुनोत्री धाम के कपाट

बता दें कि उत्तराखंड में यात्रा सीजन 3 मई से शुरू हो जाएगा. जिसे लेकर पर्यटन विभाग, गढ़वाल मंडल विकास निगम, गढ़वाल कमिश्नर, उत्तराखंड सिविल एविएशन समेत सरकार के तमाम विभाग के आला अधिकारी तैयारियों में जुट गए हैं. सभी चारधाम यात्रा (Chardham Yatra in Uttarakhand) को भव्य और दिव्य बनाने के प्रयास में जुटे हैं.

अगर बात पिछले 2 सालों की करें तो कोरोना महामारी का खासा असर देखने मिला है. कोविड नियमों के तहत कुछ समय के लिए ही चारधाम यात्रा का संचालन हो पाया. साल 2019 की बात करें तो 12 लाख तीर्थयात्री केवल बदरीनाथ धाम की यात्रा करने आए थे तो वहीं चारों धामों में मिलाकर तकरीबन 35 से 36 लाख यात्री पहुंचे थे. वहीं, साल 2020 और 21 में कोरोना महामारी ने चारधाम यात्रा को पटरी से उतार दिया था.

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इन दो सालों में सीमित समय और सीमित संसाधनों के साथ चारधाम यात्रा को खोला गया था. जहां श्रद्धालुओं की संख्या बेहद कम रही. इसका असर चारधाम यात्रा पर निर्भर लोगों पर भी देखने को मिला था. क्योंकि, चारधाम यात्रा न केवल धार्मिक और तीर्थ यात्रा से जुड़ी है बल्कि, पर्यटन से भी जुड़ी है. इसमें लाखों लोगों की रोजी रोटी जुड़ी है.

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