नई दिल्ली :भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) ने भारत ने एक समावेशी लोकतंत्र के रूप में अपने सभी नागरिकों को उनकी धार्मक, जातीय और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का परवाह किए बिना स्थान प्रदान करने में सफल रहा है. भारत में किसी धर्म को कोई खतरा नहीं है. उन्होंने उक्त बातेंखुसरो फाउंडेशन और इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर द्वारा मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में कहीं. उन्होंने दुनिया भर के इस्लामिक आतंकवादी समूहों का जिक्र करते हुए कहा कि देश में भारतीय मुस्लिम शांति और भाईचारे के साथ रह रहे हैं लेकिन उनमें से केवल कुछ ही विदेशों में आतंकवादी समूहों में शामिल हुए. एनएसए ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जोरों पर है और हम आतंकवाद और उग्रवाद को खत्म करने के लिए अन्य देशों के साथ सहयोग करना जारी रखेंगे.
उन्होंने आगे कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म या कोई जाति नहीं होती है और कई बार गुमराह होकर युवा इसमें फंस जाते हैं. वैश्विक समुदाय से एक साथ आने और आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह करते हुए एनएसए डोभाल ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई पूरे जोरों पर है और जो कोई भी ऐसी हिंसक गतिविधियों में शामिल होगा उसका मुकाबला किया जाएगा. भारत में बसने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों और शरणार्थियों के बारे में बात करते हुए, अजीत डोभाल ने कहा कि भारत हमेशा बहुत ही मिश्रित प्रकृति का रहा है और इसने सभी धर्मों, संस्कृतियों और जातियों को स्वीकार किया है.
डोभाल ने कहा, एक समावेशी लोकतंत्र के रूप में भारत में सभी के लिए जगह है. भारत दुनिया में दूसरी और सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी का घर है. भारतीय मुस्लिम आबादी इस्लामिक सहयोग संगठन के 33 से अधिक सदस्य देशों की संयुक्त आबादी के लगभग बराबर है...हिंदू धर्म और इस्लाम की गहरी आध्यात्मिक सामग्री ने लोगों को एक साथ लाया और एक-दूसरे की सामाजिक और बौद्धिक समझ लाने में मदद की.
समानता और विविधता के बारे में बात करते हुए एनएसए ने कहा कि असहमति का मतलब विघटन या टकराव नहीं है. भारत में असहमति के कारण किसी को भी खतरा नहीं है क्योंकि समानता हमारे संविधान में निहित है. अपनी एक टिप्पणी में डोभाल ने भारत और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों के बारे में बात करते हुए कहा कि हजरत मोहम्मद की पत्नी को कश्मीर के शॉल पसंद थी.
भारत एक हिंदू बहुसंख्यक राज्य है लेकिन यह एक धर्मनिरपेक्ष देश है: अल इस्सा
वहीं कार्यक्रम में मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव डॉ. मुहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-इस्सा (Dr. Mohammad bin Abdul Karim AI-Issa) ने कहा कि भारत एक हिंदू बहुसंख्यक देश है लेकिन यह एक धर्मनिरपेक्ष देश है. उन्होंने कहा कि भारत के मुस्लिमों को भारतीय होने पर गर्व है. इस्सा ने कहा कि भारत पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण है कि किस तरह अलग धर्म मानने वाले लोगों के होते हुए भी एक साथ प्यार मोहब्बत से रहते हैं. उन्होंने भारतीय मुस्लिम को अपनी राष्ट्रीयत और संविधान पर गर्व है.
अल इस्सा ने कहा कि हम एक साझा उद्देश्य के साथ विभिन्न घटकों और विविधता तक पहुंचते हैं. हमने भारतीय ज्ञान के बारे में बहुत कुछ सुना है और हम जानते हैं कि भारतीय ज्ञान ने मानवता के लिए बहुत योगदान दिया है, हम जानते हैं कि हमारा एक साथ शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व रखने का एक साझा उद्देश्य हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें विविधता की यह अवधारणा सिर्फ पाठ्य पुस्तकों में ही नहीं रखनी चाहिए. हमें इसके साथ रहना चाहिए और इसका सम्मान करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय में मेरे कई मित्र हैं. हम आस्थाओं के बीच समझ को मजबूत करना चाहते हैं मैं सद्गुरु और श्री श्री रविशंकर का गहरा सम्मान करता हूं. कई हिंदू नेताओं के साथ हमारे कई समान मूल्य हैं और हम मतभेदों का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि हम भारत के मुसलमानों के बारे में बहुत कुछ सुनते हैं और उन्होंने इस सह-अस्तित्व में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हम जानते हैं कि भारत सह-अस्तित्व के लिए महान मॉडल है.
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि उनकी भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर बहस छिड़ी हुई है, एक ऐसा कदम जिसने विपक्ष, धार्मिक संगठन और अन्य लोगों के साथ सामाजिक-राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है और ध्रुवीकरण के लिए सत्तारूढ़ भगवा पार्टी को दोषी ठहराया है. भारत के विधि आयोग ने हाल ही में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर नए सिरे से विचार-विमर्श शुरू किया है और इस पर जनता के विचार मांगे हैं.
सह-अस्तित्व और पारिवारिक विविधता के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, 'दुनिया में यह निराशावादी सिद्धांत है कि विभिन्न धर्मों या सभ्यताओं के बीच टकराव अपरिहार्य है. यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने सभ्यता के गठबंधन की स्थापना की है...इसलिए मुस्लिम विश्व लीग इसकी सराहना करती है. और हम विविधता और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना चाहते हैं जहां कोई टकराव न हो.
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