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बेरोजगार हो सकते हैं IIT और NIT से पढ़े TEQIP के प्रोफेसर, सरकार से लगा रहे गुहार

आईआईटी और एनआईटी से पढ़े युवा (अब असिस्टेंट प्रोफेसर) जो तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के तहत तीन वर्ष के कॉन्ट्रैक्ट पर देश के प्रमुख संस्थानों में शिक्षा दे रहे हैं, जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. जाने क्यों हो रहा है ये प्रदर्शन...

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Published : Mar 25, 2021, 7:34 PM IST

नई दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली में बीते दो दिनों से सैकड़ों असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत IIT और NIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से तकनीकी शिक्षा प्राप्त युवा जंतर मंतर पर बैठ कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि खत्म होने के बाद उनकी सेवा का विस्तार किया जाए.

इनकी गुहार है कि एक बार इन्हें देश के शिक्षा मंत्री से मिलने का मौका दिया जाए, लेकिन बार-बार गुहार लगाने के बावजूद इनकी आवाज सरकार तक नहीं पहुंच पाई है.

असिस्टेंट प्रोफेसरों का धरना प्रदर्शन

TEQIP-3 (Technical Education Quality Improvement Programme) योजना की कुल लागत 3,600 करोड़ थी और इसके लिए देश के उच्चतम तकनीकी शिक्षण संस्थानों से मेधावी छात्रों का चयन किया गया था. देश के अलग-अलग राज्यों से दिल्ली पहुंचे इन अध्यापकों का कहना है कि जब उनके पास योग्यता है और सरकार ने इतनी बड़ी राशी उनके प्रशिक्षण में खर्च किया, तो उनका उपयोग तीन वर्ष तक ही सीमित क्यों रहे? तकनीकी शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार एक सतत प्रक्रिया है, जो लगातार चलनी चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि उनकी सेवा का विस्तार किया जाए.

दरअसल, शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 में तकनीकी शिक्षा संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने, अकादमिक और प्रबंधकीय योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन और समन्वय के उद्देश्य से तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (TEQIP-3) की शुरुआत की गई थी. इस कार्यक्रम के तहत तीन वर्ष के कॉन्ट्रैक्ट पर देश के IIT (Indian Institutes of Technology), NIT IISER (National Institutes of Technology) जैसे प्रमुख संस्थानों से योग्य छात्रों का चयन कर उन्हें 12 राज्यों के अलग-अलग तकनीकी शिक्षण संस्थानों में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त किया गया था.

अब 31 मार्च को इनके तीन साल के कॉन्ट्रैक्ट की अवधि समाप्त हो रही है, जबकि इनका कहना है कि इनकी नियुक्ति के बाद सभी राज्यों के तकनीकी शिक्षण संस्थानों में न केवल शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ी, बल्कि अन्य मानकों में भी सुधार हुए हैं. नियुक्ति के समय इन्हें आश्वासन दिया गया था कि तीन वर्ष पूरे होने के बाद उन्हें सेवा में बनाए रखा जाएगा.

प्रदर्शन कर रहे असिस्टेंट प्रोफेसरों का कहना है कि भारत सरकार और राज्यों के बीच इसके लिए एक समझौता ज्ञापन भी हुआ था, लेकिन 31 मार्च को उनका कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो रहा है, तो एक असमंजस की स्थिति बनी हुई है और कुल 1,554 सहायक अध्यापकों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है.

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शिक्षा मंत्रालय की तरफ से अपर सचिव ने प्रदर्शनकारी सहायक अध्यापकों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. अध्यापकों का कहना है कि उनकी बातचीत सकारात्मक रही, लेकिन जब तक शिक्षा मंत्री इस विषय पर उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं देते वे धरने पर बैठे रहेंगे. शिक्षा मंत्री को पत्र लिख कर शिक्षिक अपनी मांग उनके समक्ष रख चुके हैं, लेकिन शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक इन्हें मिलने का समय नहीं दे रहे हैं, जो इनके लिए निराशा की बात है.

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