नई दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली में बीते दो दिनों से सैकड़ों असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत IIT और NIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से तकनीकी शिक्षा प्राप्त युवा जंतर मंतर पर बैठ कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि खत्म होने के बाद उनकी सेवा का विस्तार किया जाए.
इनकी गुहार है कि एक बार इन्हें देश के शिक्षा मंत्री से मिलने का मौका दिया जाए, लेकिन बार-बार गुहार लगाने के बावजूद इनकी आवाज सरकार तक नहीं पहुंच पाई है.
TEQIP-3 (Technical Education Quality Improvement Programme) योजना की कुल लागत 3,600 करोड़ थी और इसके लिए देश के उच्चतम तकनीकी शिक्षण संस्थानों से मेधावी छात्रों का चयन किया गया था. देश के अलग-अलग राज्यों से दिल्ली पहुंचे इन अध्यापकों का कहना है कि जब उनके पास योग्यता है और सरकार ने इतनी बड़ी राशी उनके प्रशिक्षण में खर्च किया, तो उनका उपयोग तीन वर्ष तक ही सीमित क्यों रहे? तकनीकी शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार एक सतत प्रक्रिया है, जो लगातार चलनी चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि उनकी सेवा का विस्तार किया जाए.
दरअसल, शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 में तकनीकी शिक्षा संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने, अकादमिक और प्रबंधकीय योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन और समन्वय के उद्देश्य से तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (TEQIP-3) की शुरुआत की गई थी. इस कार्यक्रम के तहत तीन वर्ष के कॉन्ट्रैक्ट पर देश के IIT (Indian Institutes of Technology), NIT IISER (National Institutes of Technology) जैसे प्रमुख संस्थानों से योग्य छात्रों का चयन कर उन्हें 12 राज्यों के अलग-अलग तकनीकी शिक्षण संस्थानों में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त किया गया था.