नई दिल्ली : तेलंगाना में सत्ताधारी दल को बड़ा झटका लगा. मुख्यमंत्री केसीआर की पार्टी केसीआर चुनाव हार गई. सीएम ने इस्तीफा दे दिया है. यहां पर कांग्रेस ने अपनी सफलता के झंडे लहरा दिए हैं. चुनाव प्रचार के दौरान ही पार्टी दावा कर रही थी कि उसे जीत अवश्य ही मिलेगी. मतगणना के दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने कहा कि उनकी सरकार बननी तय है. तेलंगाना में विधानसभा की कुल 119 सीटें हैं.
अब हर कोई सवाल पूछ रहा है कि आखिरकार कांग्रेस ने यह करिश्मा कैसे कर दिखाया. वैसे, जब से पार्टी को कर्नाटक में जीत मिली, तभी से कांग्रेस के लिए उम्मीदें बढ़ गई थीं. कांग्रेस ने तभी से कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को विशेष जिम्मेवारी सौंप दी थी. शिवकुमार तभी से तेलंगाना के लिए जुट गए थे.
कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने तभी से प्रयास शुरू कर दिए थे. उनके नेता ग्रामीण इलाकों में जाकर मतदाताओं से संपर्क साध रहे थे, लेकिन तब किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि उनके नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जिस तरह का जनसमर्थन यहां पर पाया था, तभी यह संकेत मिल चुके थे, कि जनता बीआरएस के शासन से उब चुकी है.
कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा कि पिछले एक साल से पार्टी इसे महसूस कर रही थी, इसलिए हमने पार्टी में कुछ चेंज भी किया. उन्होंने कहा कि जनता बीआरएस से ऊब चुकी थी, उन्होंने एआईएमआईएम का सहारा लिया.
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि स्थितियां उनके अनुकूल थीं, उन्हें बस लास्ट मोमेंट में उसे चैनलाइज करना था और उनके कार्यकर्ताओं ने ऐसा कर दिखाया. कर्नाटक से प्रोत्साहित होकर कांग्रेस ने तेलंगाना में भी गारंटी स्कीम का खूब प्रचार किया.उनकी गारंटी योजनाएं कुछ इस तरह से हैं.
महालक्ष्मी योजना - इसमें पार्टी ने हरेक महिला को 2500 रु. प्रति महीना और 500 रु. में गैस सिलेंडर देने का वादा किया है. महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जाएगी.