नई दिल्ली : अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट बिना उनका पक्ष जाने प्रतिबंधित करने के माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के फैसले को लेकर राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि सोशल मीडिया दिग्गजों की इस तरह की पकड़ लोकतंत्र के लिए खतरा है.
'ईटीवी भारत' से विशेष बातचीत में राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि छह बड़े अमेरिकी दिग्गजों ने इंटरनेट के वर्चस्व को लेकर जो स्थितियां पैदा की हैं उन चुनौतियाें से निपटने के लिए भारत को सूचना प्रौद्योगिकी कानून में बदलाव, स्वतंत्र नियामक संस्थानों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर बैठे शख्स का अकाउंट इस तरह से प्रतिबंधित करने की घटना यह सोचने को मजबूर करती है कि हम सभी बड़ी तकनीक को विनियमित करने के मुद्दे को कैसे देखते हैं.
उन्होंने कहा कि 'मेरे जैसे लोग वर्षों से यह तर्क दे रहे हैं कि इन प्लेटफार्मों के पास जो शक्तियां हैं उन्हें कोई नियंत्रित नहीं कर पा रहा है. यह शक्ति जो कुछ अरबपतियों के हाथों में केंद्रित है इसका दुरुपयोग लोगों की विचारधाराओं और एजेंडे के लिए किया जा सकता है.'
भाजपा सदस्य चंद्रशेखर जो केंद्र सरकार में भी शामिल हैं, ने कहा कि उच्च तकनीक कंपनियों ने जो खतरा पैदा किया है सभी को इसके बारे में सजग होने का समय है. उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप का ट्विवटर अकाउंट प्रतिबंधित करना चाहिए था या नहीं ये अलग मसला है. लेकिन ऐसा करने से पहले किसी भी नियामक संस्था द्वारा किसी भी कानूनी दिशा के बिना उन्हें सफाई देने का मौका न दिया जाना ये बताता है कि ये प्लेटफार्म किस कदर शक्तिशाली हैं.' कंपनियों पर असीमित शक्ति का दुरुपयोग किए जाने की आशंका जताते हुए उन्होंने कहा कि भारत जैसे लोकतंत्र के लिए ये चिंता का कारण होना चाहिए.
सोशल मीडिया दिग्गज ट्विटर, फेसबुक, गूगल, अमेजॉन और अन्य प्लेटफार्मों की जवाबदेही तय करने को लेकर जुलाई 2019 में राज्यसभा में अध्यादेश की मांग करने वाले चंद्रशेखर ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप जैसे प्रभावशाली व्यक्ति के साथ ऐसा हो सकता है तो न जाने कितने ऐसे लोग होंगे जिनका बिना किसी गलती के अकाउंट प्रतिबंधित किया गया होगा.