चेन्नई : तमिलनाडु में राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट) को लेकर 16 छात्रों की आत्महत्या का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से राज्य के नीट-रोधी विधेयक को यथाशीघ्र मंजूरी देने का आग्रह किया (Stalin Writes letter to president).
राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र में स्टालिन ने तमिलनाडु स्नातक मेडिकल डिग्री पाठ्यक्रम विधेयक,2021 को मंजूरी देने में विलंब के चलते दुर्भाग्यपूर्ण परिणामों का जिक्र किया और उनसे तत्काल मंजूरी देने का अनुरोध किया.
मुख्यमंत्री ने नीट के तनाव के कारण 12 और 13 अगस्त को क्रमश: एक पिता और उसके बेटे की आत्महत्या का जिक्र किया है.
स्टालिन ने पत्र में कहा, 'इसके साथ, हमारे राज्य में नीट के चलते आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ कर 16 हो गई है. यदि नीट से छूट देने संबंधी हमारे विधेयक को मंजूरी दे दी गई होती और मेडिकल (पाठ्यक्रम में) दाखिला 12वीं कक्षा के अंकों के आधार पर होता तो इन्हें निश्चित तौर पर टाला जा सकता था.'
विधायी प्रक्रिया की पृष्ठभूमि बताते हुए स्टालिन ने न्यायमूर्ति ए.के. राजन समिति का संदर्भ दिया, जिसने नीट आधारित दाखिला प्रक्रिया और गरीब एवं ग्रामीण छात्रों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव का अध्ययन किया था. मुख्यमंत्री ने कहा कि बाद में, समिति की रिपोर्ट और चर्चाओं के आधार पर 13 सितंबर 2021 को विधेयक पारित किया गया था.'
चूंकि इसे राज्यपल आर. एन. रवि ने पांच महीने के विलंब के बाद लौटा दिया, इसे आठ फरवरी 2022 को विधानसभा में फिर से पेश किया गया और इसे दोबारा पारित किया गया तथा पुन: राज्यपाल को भेजा गया, जिन्होंने राष्ट्रपति के विचारार्थ इसे सुरक्षित रख लिया.
स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल ने विधेयक को केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी लंबित है. जब गृह मंत्रालय ने विधेयक के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा तब राज्य सरकार ने शीघ्रता से यह दिया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि तमिलनाडु के विधेयक को अब तक मंजूरी नहीं मिली है और छात्र नीट के आधार पर दाखिला लेने के लिए मजबूर हैं.
स्टालिन ने पत्र में कहा है, 'इसने छात्रों और उनके माता-पिता के मन में अत्यधिक बेचैनी और तनाव पैदा किया है. परिणामस्वरूप, नीट के जरिये मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने में नाकाम रहने के चलते छात्रों या उनके माता पिता के आत्महत्या करने की कई दुखद घटनाएं हुई हैं. राज्य का नीट-रोधी विधेयक विधायिका की आम सहमति का नतीजा है, जो तमिलनाडु के लोगों की सामूहिक इच्छा की उपज है.'