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हिजाब पर SC में सुनवाई, वकील ने कहा- अपनी गरिमा देख रही महिला, खुद की सोच थोपना गलत - Hijab Controversy

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांधु धुलिया की बेंच के सामने चौथे दिन हिजाब बैन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील युसुफ मुचाला ने दलील दी कि हिजाब पहनना गलत नहीं है. याचिकाकर्ता लड़कियां सालों से बिना किसी रुकावट से हिजाब पहनती आ रही थी और सरकार का कोई रोक नहीं था. हिजाब के साथ एंट्री को मना करना एक तरह से शिक्षा से लड़कियों को वंचित करने जैसा है.

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Published : Sep 12, 2022, 9:55 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में हिजाब बैन के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जो यूनिफॉर्म तय है उसमें ऐतराज नहीं है. इसके अतिरिक्त अगर कुछ पहना जाता है जो धर्म कहता है तो उसकी इजाजत होनी चाहिए. निजता के अधिकार में पसंद का अधिकार भी शामिल है. वकील ने आगे कहा कि युवा लड़कियों का क्या जुर्म है. ये जुर्म है कि उन्होंने अतिरिक्त कपड़ा सिर पर रखा. महिला अपनी गरिमा देख रही है. हम अपनी सोच उन पर थोप नहीं सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में चल रही कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने की मांग पर सुनवाई में न्यायाधीश हेमंत गुप्ता ने 16 सितंबर तक सुनवाई पूरी करने के संकेत दिये हैं. मामले पर कोर्ट ने कर्नाटक स्कूल-कॉलेज में हिजाब की अनुमति मांग रही याचिकाओं पर बुधवार 14 सितंबर तक दलील पूरी करने के लिए कहा. साथ ही राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने जवाब के लिए 2 दिन का समय भी दिया है.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांधु धुलिया की बेंच के सामने चौथे दिन हिजाब बैन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील युसुफ मुचाला ने दलील दी कि हिजाब पहनना गलत नहीं है. याचिकाकर्ता लड़कियां सालों से बिना किसी रुकावट से हिजाब पहनती आ रही थी और सरकार का कोई रोक नहीं था. हिजाब के साथ एंट्री को मना करना एक तरह से शिक्षा से लड़कियों को वंचित करने जैसा है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अंतरात्मका की स्वतंत्रता दोनों एक दूसरे से जुड़ें हैं जो अनुच्छेद-19 व अनुच्छेद-25 से आता है. जस्टिस गुप्ता ने सवाल किया कि आपका कहना यह है कि अनुच्छेद-19 व 25 के तहत कोई कपड़े पहनने का अधिकार है. वकील ने कहा, 'हां'.

उन्होंने कहा कि निजता का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रा का अधिकार सबको मिला हुआ है और इन अधिकारों में आपसी तालमेल है उसे अलग करके नहीं देखा जा सकता है. मुस्लिम महिलाओं का शिक्षा का अधिकार प्रभावित हो रहा है क्योंकि उनके धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकार को स्वीकार नहीं किया जा रहा है. इस दौरान जस्टिस धुलिया ने सवाल किया कि आपकी दलील यह है कि हिजाब धर्म का अभिन्न अंग है? इस पर एडवोकेट मुचाला ने कहा कि यह महिलाओं का अधिकार है. पगड़ी पहनने पर रोक नहीं है और उसे जब स्वीकारा जाता है तो फिर इस तरह के विविधता को बर्दाश्त करना चाहिए. निजता के अधिकार पर दिए गए जजमेंट का उल्लेख करते हुए एडवोकेट मुचाला ने कहा कि अनुच्छेद-19 और 25 की संविधान गारंटी देता है और उसे अलग करके नहीं देख सकते हैं एक दूसरे के पूरक हैं. राज्य को सकारात्मक धर्म निरपेक्षता को प्रोमोट करना चाहिए. लेकिन हो क्या रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे वकील सलमान खुर्शीद से सवाल किया कि आप बताएं कि धर्म के अभिन्न अंग पर आपकी राय क्या है. इस पर सलमान खुर्शीद ने अपनी दलील शुरू करते हुए कहा कि अंतरात्मा, कल्चर, गरिमा के साथ जीवन, निजता का अधिकार इन सभी नजरिये से इन बातों को देखना होगा. न्याय सिद्धांत कल्चर और धर्म को मान्यता देता है. विविधता में एकता एक समग्र कल्चर से आता है. सवाल यह है कि कोई अगर यूनिफर्म से ज्यादा कुछ कपड़े पहनता है तो उसकी इजाजत होनी चाहिए. निजता के अधिकार में पसंद का अधिकार है. यूनिफर्म गलत नहीं है लेकिन अतिरिक्त कपड़े की इजाजत होनी चाहिए. कर्नाटक हाई कोर्ट के जजमेंट में कई खामियां हैं. अब आगे की सुनवाई बुधवार को होगी.

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