नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में हिजाब बैन के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जो यूनिफॉर्म तय है उसमें ऐतराज नहीं है. इसके अतिरिक्त अगर कुछ पहना जाता है जो धर्म कहता है तो उसकी इजाजत होनी चाहिए. निजता के अधिकार में पसंद का अधिकार भी शामिल है. वकील ने आगे कहा कि युवा लड़कियों का क्या जुर्म है. ये जुर्म है कि उन्होंने अतिरिक्त कपड़ा सिर पर रखा. महिला अपनी गरिमा देख रही है. हम अपनी सोच उन पर थोप नहीं सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में चल रही कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने की मांग पर सुनवाई में न्यायाधीश हेमंत गुप्ता ने 16 सितंबर तक सुनवाई पूरी करने के संकेत दिये हैं. मामले पर कोर्ट ने कर्नाटक स्कूल-कॉलेज में हिजाब की अनुमति मांग रही याचिकाओं पर बुधवार 14 सितंबर तक दलील पूरी करने के लिए कहा. साथ ही राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने जवाब के लिए 2 दिन का समय भी दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांधु धुलिया की बेंच के सामने चौथे दिन हिजाब बैन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील युसुफ मुचाला ने दलील दी कि हिजाब पहनना गलत नहीं है. याचिकाकर्ता लड़कियां सालों से बिना किसी रुकावट से हिजाब पहनती आ रही थी और सरकार का कोई रोक नहीं था. हिजाब के साथ एंट्री को मना करना एक तरह से शिक्षा से लड़कियों को वंचित करने जैसा है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अंतरात्मका की स्वतंत्रता दोनों एक दूसरे से जुड़ें हैं जो अनुच्छेद-19 व अनुच्छेद-25 से आता है. जस्टिस गुप्ता ने सवाल किया कि आपका कहना यह है कि अनुच्छेद-19 व 25 के तहत कोई कपड़े पहनने का अधिकार है. वकील ने कहा, 'हां'.