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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की स्वास्थ्य नीति के कार्यान्वन को लेकर दाखिल की गई याचिका - राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति

सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 के कार्यान्वयन के लिए दायर की गई एक रिट याचिका का निपटारा कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 27, 2021, 4:46 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारत सरकार द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 के कार्यान्वयन के लिए दायर की गई एक रिट याचिका को खारिज कर दिया है. हालांकि पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की स्वतंत्रता देने की इच्छा जताई ताकि एक नई याचिका तैयार की जा सके, जिसमें संतोषजनक दलीलों का बोझ विधिवत रूप से निर्वहन किया गया हो.

रिट याचिका में कोविड-19 पीड़ितों के आश्रितों / चिकित्सा सहायता की कमी के कारण मरने वाले लोगों के लिए आजीविका के प्रावधान के लिए और बीमा अधिकारियों को आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई, आरोग्यश्री, जनधन योजना, रयतु भीमा आदि के तहत कोविड-19 रोगियों को निजी अस्पतालों में इलाज कराने और कोविड-19 से होने वाली मौतों के लिए धारक के बीमा दावों को संसाधित करने और पॉलिसी के लिए चिकित्सा खर्चों की प्रतिपूर्ति करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी.

याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी को देखते हुए, वह केवल राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के कार्यान्वयन के संबंध में राहत के लिए दबाव डाल रहे हैं, तो न्यायाधीश ने टिप्पणी की, 'आप सिर्फ एक रिपोर्ट संलग्न कर यह उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि कोर्ट को सिर्फ आगे बढ़ना है.

आप सिर्फ यह नहीं कह सकते हैं कि '2021 का बजट लागू करें'! आपको कमी को निर्दिष्ट करनी होगी, आपको यह बताना होगा कि अनुपालन में विफलता कैसे हुई है! आप सिर्फ इसलिए दलीलों के बोझ से मुक्त नहीं हैं, क्योंकि यह एक जनहित याचिका है. आपको अपना कार्य करना है और विवरण देना है, आपको डेटा एकत्र करना है और महत्वपूर्ण क्षेत्र को इंगित करना है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि हम जान सकें कि किस राज्य सरकार या किस प्राधिकरण को नोटिस जारी करना है! आपको ये बोझ उठाना है.

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उन्होंने कहा कि आप इसे राज्य या कोर्ट पर नहीं छोड़ सकते, अगर आप बोझ नहीं उठा सकते, तो आप आप याचिकाएं दाखिल न करें.

इस पर याचिका कर्ता ने कहा कि इस तरह का डेटा इकठ्ठा करना काफी कठिन है, तो इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर यह मुश्किल है, तो आप अपने मुवक्किल को शांत रहने को कहें.

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