नई दिल्ली:सुल्ली डील ऐप बनाने वाले ओंकारेश्वर ठाकुर ने महज तीन दिन बाद ही इसे डिलीट कर दिया था. उसने जुलाई वे पहले सप्ताह में इसे बनाया और इस पर ग्रुप के कुछ सदस्यों ने 50 से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं की फोटो डाली थी. इसे लेकर काफी हंगामा मचने लगा जिसके बाद उसने गिटहब पर बनाये गए ऐप एवं ट्विटर पर बनाये गए ट्रेडमहासभा ग्रुप को डिलीट कर दिया था. उसे इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि 6 महीने बाद वह पकड़ा जाएगा क्योंकि वह सभी डिजिटल फुटप्रिंट मिटा चुका था.
सूत्रों के अनुसार, इंदौर से गिरफ्तार किए गए ओंकारेश्वर ठाकुर से डीसीपी केपीएस मल्होत्रा की देखरेख में एसीपी रमन लाम्बा, इंस्पेक्टर भानु प्रताप और विजय गहलावत की टीम ने कई घंटे तक पूछताछ की. उसने पुलिस को बताया कि स्कूल से लेकर बीसीए तक की पढ़ाई उसने इंदौर से ही की है. बीसीए करने के बाद से वह नौकरी की जगह फ्रीलांस का काम करता था. वह सोशल मीडिया पर अपना काफी समय बिताता है.
बीते वर्ष उसने देखा कि ट्विटर पर कई मुस्लिम महिलाएं मंदिर, भगवान एवं हिन्दू धर्म को लेकर टिप्पणी करती हैं. ऐसे ट्वीट को वह उस क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों को टैग कर देता था. लेकिन इससे कोई एक्शन नहीं होता था. इसलिए उसने सोशल मीडिया पर ऐसी महिलाओं को ट्रोल करने के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाने की ठानी.
ओंकारेश्वर ठाकुर ने पुलिस को बताया कि उसने ट्वीटर पर ट्रेडमहासभा नाम से ग्रुप बनाया जिस पर उसके जैसी सोच रखने वाले लगभग 50 लोग जुड़ गए. इसके बाद उसने गिटहब पर सुल्ली डील के नाम से ऐप बनाया और उसे ग्रुप में सांझा किया.