नई दिल्ली : भारत के विभिन्न मरीन इमिग्रेशन पोस्ट पर आवश्यक बुनियादी ढांचों के विकास में तेजी लाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को संसदीय कमेटी की ओर से कहा गया है. कांग्रेस सांसद आनन्द शर्मा के नेतृत्व वाली संसदीय कमेटी के मुताबिक इन स्थानों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है. जिसके कारण यहां आने वाले यात्रियों की आप्रवासन प्रक्रिया प्रभावित हो रही है.
अव्यवस्था को गंभीरता से लेने की सलाह
कमेटी ने गृह मंत्रालय को इस अव्यवस्था को गंभीरता से लेने की सलाह दी है. साथ ही उन्होंने कहा कि जहाजरानी मंत्रालय और विभिन्न पोर्ट ट्रस्ट समेत अन्य संबंधी एजेंसियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर बुनियादी विकास में बाधा डालने वाले तथ्यों को हटाने का प्रयास करें.
इमिग्रेशन पोस्ट पर बुनियादी सुविधाओं की कमी
कमेटी ने यह भी कहा कि कई मरीन इमिग्रेशन पोस्ट पर बुनियादी सुविधाएं जैसे बिल्डिंग के लिए जगह, बिजली-पानी का कनेक्शन, मॉनिटरिंग स्क्रीन, कैनोपाई आदि चीजें नहीं हैं.
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कमेटी का मानना है कि ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन को संचालन के लिए अच्छी जलवायु और नियंत्रित वातावरण के साथ लाइन कनेक्टिविटी की जरूरत है. लेकिन कुछ स्थानों पर आप्रवासन अधिकारी अस्थायी संरचनाओं से काम चला रहे हैं. जिससे वहां के अधिकारियों के स्वास्थ्य को भी खतरा है.
क्रूज संचालन को प्रोत्साहित कर रही सरकार
वर्तमान देश में 31 प्राधिकृत बंदरगाह इमिग्रेशन चेक पोस्ट (ICPs-Immigration Check Posts) हैं. जिनमें से 10 ICPs पर ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन का प्रत्यक्ष नियंत्रण है. बाकी के ICPs राज्य पुलिस अधिकारियों द्वारा संचालित हैं. ऐसे में केंद्र सरकार प्रमुख भारतीय बंदरगाहों के जरिए क्रूज संचालनों को प्रोत्साहित कर रही है.
हालांकि, विदेशी पर्यटकों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रति ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन पोर्ट ट्रस्ट प्राधिकरणों द्वारा इसके प्रति कोई खास प्रयास नहीं किया जा रहा है.
बंदरगाहों में लंबे जहाजों के लिए हैं मुश्किलें
जानकारी के मुताबिक, कोच्चि बंदरगाह में 2001 से क्रूज जहाजों के ठहराव की व्यवस्था है. शुरुआत में केवल 10 जहाज यहां ठहरते थे, जबकि 2018 में यह संख्या बढ़कर 49 हुई थी. सभी बंदरगाहों में क्रूज ट्रैफिक बढ़ने की उम्मीद जताते हुए कमेटी को सूचित किया गया है कि 260 मीटर से अधिक लंबे जहाजों के लिए बंदरगाहों में कठिनाइयां हो सकती हैं. खासतौर पर एर्नाकुलम घाट पर बड़े जहाजों की ट्रैफिक का संचालन करने के लिए बुनियादी सुविधाएं मौजूद नहीं हैं.
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जर्जर हालत में इमिग्रेशन ऑफिस
कमेटी ने यह भी पाया कि कई बंदरगाहों में इमिग्रेशन ऑफिस बर्बाद हालत में हैं. हालांकि, चेन्नई बंदरगाह के ऑफिस को क्रूज बिल्डिंग में शिफ्ट करने की अनुमति मिल गई है. लेकिन इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में दर्शाया है कि जेएनपीटी मुंबई, मुंबई बंदरगाह, कोलकाता, विझिनजाम, वल्लारपदम, कोच्चि, कालिकट, चेन्नई, मोरमुगांव और न्यू मेंगलुरु जैसे बंदरगाह ICPs में बेहतरीन आप्रवासन संचालन के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं.
संसदीय कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकारों द्वारा संचालित 21 बंदरगाह ICPs की हालत ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के ICPs की हालत से भी खराब है.