नई दिल्ली: कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को 20 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के दौरान विवादास्पद दिल्ली अध्यादेश का विरोध करने के लिए सबसे पुरानी पार्टी का लिए रास्ता साफ कर दिया. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संस्थापक अरविंद केजरीवाल द्वारा अध्यादेश पर कांग्रेस से समर्थन मांगे जाने के बाद से पिछले कुछ हफ्तों में पार्टी के भीतर इस अध्यादेश पर कई बार चर्चा हुई थी, लेकिन आलाकमान के लिए मुख्य बाधा आम आदमी पार्टी समर्थन को लेकर दिल्ली और पंजाब इकाइयों का कड़ा विरोध था. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'मानसून सत्र के दौरान जब भी अध्यादेश लाया जाएगा, कांग्रेस इसका विरोध करेगी.'
कांग्रेस चुनी हुई राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों पर मोदी सरकार के हमलों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगी. यह हमला विभिन्न रूपों में आता है. कभी-कभी यह सीधे मोदी सरकार से आता है और कभी-कभी यह उनके द्वारा नियुक्त लोगों के माध्यम से आता है. हमने पहले भी संघीय ढांचे पर ऐसे हमलों का विरोध किया है और संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह इसका विरोध करना जारी रखेंगे.' संवैधानिक निकायों को कमजोर कर दिया गया है और मोदी सरकार द्वारा संवैधानिक एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया है.
कांग्रेस संचार प्रभारी जयराम रमेश ने ये जवाब दिए जब उनसे मानसून सत्र के दौरान पार्टी के रूख पर सवाल पूछा गया. कांग्रेस कह रही थी कि सत्र शुरू होने पर वह अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी लेकिन शनिवार को सोनिया गांधी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण रणनीति बैठक में अध्यादेश का विरोध करने का फैसला किया गया. केंद्र सरकार द्वारा जारी विवादास्पद अध्यादेश दिल्ली के मुख्यमंत्री की अधिकारियों की नियुक्ति की शक्तियां छीन लेता है. केजरीवाल संसद के मानसून सत्र के दौरान विभिन्न विपक्षी दलों से उक्त अध्यादेश को हराने का आग्रह करते हुए समर्थन जुटा रहे थे.