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लालू यादव के बेटे तेजस्वी बोले, संसद में करेंगे कॉमन सिविल कोड का विरोध

कॉमन सिविल कोड पर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा 'अगर ऐसा कानून आता है तो राजद संसद में इसका विरोध करेगा. उन्होंने कहा कि देश में आरएसएस संविधान की जगह पर अपना एजेंडा लागू करना चाहता है.'

तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव

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Published : Apr 25, 2022, 9:10 PM IST

पटना:राजद संसद में कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) का विरोध करेगा. यह बात नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) ने सोमवार को पार्टी ऑफिस में पत्रकारों से बातें करते हुए कही है. केंद्र सरकार पर बरसते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में सरकार नागपुर से चलाई जा रही है. सरकार जब भी इस कानून को लाएगी, राष्ट्रीय जनता दल इसका विरोध करेगा. साथ ही केंद्र सरकार पर हमला करते हुए तेजस्वी ने कहा कि सीबीएसई पाठ्यक्रम में उर्दू विषय के चैप्टर को लेकर जो बदलाव किए गए हैं, उसका भी विरोध होगा.

''अगर ऐसे कानून को लाया जा रहा है तो हम लोग इसका संसद में विरोध करेंगे. देश आरएसएस के एजेंडे पर चल रहा है. वर्तमान में देश नागपुर से चल रहा है, ये तो हम पहले से बोल रहे हैं. जाहिर सी बात है वे पूरे मुल्क में आरएसएस संविधान की जगह पर अपना एजेंडा लागू करना चाहता है.''-तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष, बिहार

तेजस्वी यादव का बयान

तेजप्रताप मामले पर साधी चुप्पी: राजद की युवा शाखा के महानगर अध्यक्ष द्वारा तेजस्वी यादव के बड़े भाई तेजप्रताप यादव पर मारपीट करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में जानकारी ली जाएगी. इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रदेश कार्यालय पहुंचकर बिहार के कई जिलों के जिलाध्यक्षों के साथ बैठक भी की. बैठक में पार्टी से सदस्यता अभियान को लेकर बात हुई. बैठक में प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक, पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी समेत कई बड़े नेता मौजूद थे.

क्या है समान नागरिक संहिता?: कॉमन सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता एक ऐसा कानून है जो देश के हर समुदाय पर लागू होगा. वह किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या समुदाय का हो उसके लिए एक ही कानून होगा. अंग्रेजों ने आपराधिक और राजस्व से जुड़े हुए कानूनों को भारतीय दंड संहिता 1860 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, भारतीय अनुबंध अधिनियम 18 70, विशिष्ट राहत और अधिनियम 18 77 आदि के माध्यम से सब पर लागू किया. लेकिन, शादी विवाह, तलाक, उत्तराधिकारी, संपत्ति आदि से जुड़े मसलों को सभी धार्मिक समूह के लिए उनकी मान्यताओं के आधार पर छोड़ दिया था.

नेहरू ने खत्म किए थे हिंदू पर्सनल लॉ: इन्हीं सिविल कानूनों में से हिंदुओं वाले पर्सनल कानूनों को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने खत्म कर दिया और मुस्लिमों को इससे अलग रखा था. इसी को लेकर हमेशा विवाद होता रहता है. हिंदुओं की धार्मिक प्रथाओं के तहत जारी कानूनों को निरस्त कर हिंदू कोड बिल के जरिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956, हिंदू नाबालिग एवं अभिभावक अधिनियम 1956, हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम 1956 लागू कर दिया गया. मुस्लिमों के लिए उनके पर्सनल लॉ को बनाकर रखा गया. इसके कारण मुस्लिम आरोपितों या अभियोजकों के मामले में और इस्लामिक रीति रिवाज से सुनवाई होती है.

बीजेपी 2024 से पहले इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है. कई राज्यों में बीजेपी की सरकार है, इसलिए वहां आसानी से कॉमन सिविल कोड लागू हो जाएगा. लेकिन, जिन राज्यों में सहयोगी दलों के साथ सरकार चला रही है वहां और जहां बीजेपी की सरकार नहीं है दोनों स्थानों पर लागू करना फिलहाल आसान नहीं होगा, लेकिन बिहार जैसे राज्य जहां लंबे समय से बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन है . यह मुद्दा बड़ा विवाद का कारण बन सकता है. वहीं राजद ने भी इसे लेकर अपना रूख साफ कर दिया है.

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