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'बचपन से ही वह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता था', दुख में डूबे कैप्टन प्रांजल के पिता बोले

कश्मीर के राजौरी में शहीद हुए 63वीं राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन एमवी प्रांजल को अंतिम श्रद्धांजलि कर्नाटक के जिगनी नंदनवन स्थित उनके आवास पर दी जाएगी. उनकी शहादत की खबर सुनते ही पूरा परिवार और पड़ोसी दुख में डूबे हुए हैं. Encounter in Rajouri,

Tribute to Captain Pranjal
कैप्टन प्रांजल को श्रद्धांजलि

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 23, 2023, 10:54 PM IST

बेंगलुरु: कश्मीर के राजौरी में बुधवार को आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए 63वीं राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन एमवी प्रांजल की अंतिम श्रद्धांजलि के लिए जिगनी नंदनवन स्थित घर के पास तैयारियां चल रही हैं. पिछले नौ साल से प्रांजल के माता-पिता जिगनी में रह रहे हैं. प्रांजल, जो दशहरा उत्सव के लिए आए थे, एक सप्ताह तक रुके और फिर ड्यूटी के लिए चले गए.

प्रांजल मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) के पूर्व निदेशक एम वेंकटेश के इकलौते बेटे थे, जो मूल रूप से मैसूर के रहने वाले हैं. एमवी प्रांजल जिनका जन्म और पालन-पोषण मंगलुरु में हुआ, उन्होंने एलकेजी से एसएसएलसी तक की पढ़ाई एमआरपीएल के दिल्ली स्कूल, मंगलुरु में की और शहर के महेश कॉलेज से पीयूसी पूरी की.

प्रांजल, जो एक स्काउट छात्र भी थे, उनकी शादी दो साल पहले बेंगलुरु की अदिति से हुई थी. वह दो साल पहले कश्मीर में ड्यूटी पर तैनात किए गए थे. उनकी पत्नी अदिति चेन्नई में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं. अब मामले की जानकारी होने पर वह जिगनी स्थित आवास पर पहुंची हैं. 63वीं राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन एमवी प्रांजल की शहादत से पिता वेंकटेश और मां अनुराधा का रो-रोकर बुरा हाल है.

प्रांजल के पिता एम वेंकटेश ने गुरुवार को कहा कि 'प्रांजल अपनी पत्नी अदिति से आखिरी बार बात की थी, और कहा था कि वह एक ऑपरेशन के लिए जा रहा है. वहां से आने के बाद कॉल या मैसेज करेगा. लेकिन बुधवार को ही हमें कमांड सेंटर से उसकी शहादत के बारे में फोन आया, जिसे सुनते ही हमारी दुनिया बिखर गई.' उन्होंने कहा कि 'मैंने उससे 4-5 दिन पहले बात की थी, लेकिन उसने आखिरी संदेश अदिति को भेजा था.'

प्रांजल के पिता ने कहा कि 'उसकी पत्नी अदिति ने मुझे उस ऑपरेशन के बारे में बताया, जिसमें प्रांजल जाने वाला था और कहा कि वह गुरुवार तक बात नहीं कर पाएगा. लेकिन हमारा इंतजार गुरुवार तक नहीं चला और बुधवार को ही उसके शहीद होने की खबर आ गई.'

एम वेंकटेश ने कहा कि 'अंतिम संस्कार बेंगलुरु होसुर राजमार्ग पर कुडलू विद्युत चितगाड़ा में किया जाएगा. सैन्य सम्मान के साथ-साथ अपनी परंपरा के अनुसार हम सभी कार्य भी करेंगे. मेरा बेटा बहुत नरम स्वभाव का था. उसका जन्म और पालन-पोषण मंगलुरु में हुआ और उसने वहीं एमआरपीएल स्कूल में पढ़ाई की.'

उन्होंने कहा कि 'बचपन से ही उसने सेना में भर्ती होने की ठान ली थी. केमिकल इंजीनियरिंग छोड़ दी और ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी गया में सेना में शामिल हो गया. दो साल पहले उसे राष्ट्रीय राइफल्स में नौकरी मिल गई. राष्ट्रीय राइफल्स का गठन जम्मू-कश्मीर में चरमपंथियों का सामना करने और उन्हें दबाने के लिए किया गया था.'

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