कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के खिलाफ एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें उन्होंने अभिषेक बनर्जी पर राजनीतिक रैलियों के दौरान बिना अनुमति के राष्ट्रीय राजमार्गों को बाधित करने का आरोप लगाया. रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ में 7 जून को सुनवाई के लिए आने की संभावना है.
शुभेंदु अधिकारी ने रैलियों के दौरान हाईवे को अवरुद्ध करने पर अभिषेक बनर्जी के खिलाफ दायर की जनहित याचिका - अभिषेक बनर्जी के खिलाफ एक पीआईएल दायर
बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी के खिलाफ एक पीआईएल दायर की है. इस मामले में 7 जून को सुनवाई के लिए आने की संभावना है.
जनहित याचिका में शुभेंदु अधिकारी के वकील ने आरोप लगाया है कि बनर्जी के चल रहे जनसंपर्क कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने इस महीने पूर्व अनुमति के बिना उत्तरी दिनाजपुर जिले के इटाहार और मुर्शिदाबाद जिले के फरक्का में राष्ट्रीय राजमार्गों पर रैलियां की थीं.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 के अनुसार, बिना पूर्व अनुमति के राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध करके रैली या जुलूस निकालना अपराध है.
शुभेंदु अधिकारी ने 27 मई को मालदा में एक राजनीतिक रैली करने की अनुमति के लिए एक और याचिका दायर की है. रैली के लिए उनके आवेदन को जिला पुलिस द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि कार्यक्रम के दिन से 15 दिन पहले अनुमति मांगी गई थी, जिसके बाद उन्होंने अदालत का रुख किया.
शुभेंदु के वकील ने तर्क दिया कि चूंकि ऑनलाइन आवेदन का कोई प्रावधान नहीं था इसलिए देरी हुई। हाल ही में पुलिस ने शुभेंदु अधिकारी को पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के श्यामपुर में रैली करने की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया था. लेकिन बीजेपी नेता कोर्ट की इजाजत लेकर रैली में शामिल होने में कामयाब रहे.
कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने विशेष रूप से विपक्षी दलों के मामले में या राज्य सरकार के खिलाफ जाने वाले किसी भी मुद्दे पर रैलियों या जनसभाओं की अनुमति देने में राज्य प्रशासन की अनिच्छा पर भी सवाल उठाया.
उन्होंने यह भी सवाल किया कि हर बार व्यक्तियों या समूहों को अनुमति के लिए अदालत का दरवाजा क्यों खटखटाना पड़ता है.
(आईएएनएस)