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नरक चतुर्दशी आज, जानिये शुभ मुहूर्त और रूप चतुर्दशी के दिन दीप दान का महत्व

ज्योतिषाचार्य आचार्य राजेश जी महाराज (गुरु जी) निदेशक श्री लोकमंगल अनुसंधान संस्थान, चित्रकूटधाम, उत्तर प्रदेश श्री ज्योतिष गणना के अनुसार कार्तिकमास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 'नरक चतुर्दशी' कहलाती है. समस्त उपद्रवों से निवृति का दीपदान पर्व है. यह इस वर्ष 3 नवंबर 2021 बुधवार का यह पर्व सर्वत्र मनाया जाएगा.

roop chaturdashi
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Published : Nov 3, 2021, 2:18 PM IST

Updated : Nov 3, 2021, 7:16 PM IST

हैदराबाद : आज देशभर में छोटी दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है, इस दिन भी दीपावली की तरह ही दीप जलाने की परंपरा है. आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी है. जिसका बहुत ही अधिक महत्व है. इस खास दिन के महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं श्री लोकमंगल अनुसंधान संस्थान चित्रकूट (उ.प्र.) के निदेशक ज्योतिषाचार्य राजेश जी महाराज

आज की चतुर्दशी है खास

ज्योतिष गणना के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पश्र की चतुर्दशी रूप चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी कहलाती है. ये पर्व समस्त उपद्रवों से निवृति का दीपदान पर्व है. जो 3 नवंबर, 2021 को मनाया जा रहा है. मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था इसलिये इस तिथि को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है.

पूजा का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य राजेश जी महाराज के मुताबिक चतुर्दशी तिथी की शुरुआत 3 नवंबर को सुबह 8 बजे के बाद से हो चकी है, जो सुबह 5 बजकर 31 मिनट तक रहेगी. शुभ मुहूर्त शाम 4:50 बजे से 6:15 बजे के बीच है.

सनत कुमार संहिता के अनुसार आज के दिन शरीर पर तेल व उबटन लगाकर स्नान करने का विधान है. सुबह स्नान करने के बाद साफ वस्त्र पहनकर तिलक लगाकर दक्षिण दिसा की ओर मुख करके यम को जल और तिल अर्पण करें.

आज किसकी अराधना होती है ?

नरक चतुर्दशी के दिन देवताओं के विभिन्न रुपों की अराधना का विधान है. पौराणिक मान्यता के अनुसार आज के दिन यम, हनुमान जी, श्रीकृष्ण, मां काली, भगवान शिव एवं वामन अवतार विष्णु का पूजन सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाला है. अक्षत, रोली, जल, पुष्प, चंदन, काला तिल, धूप, दीप, आदि से पूजन कर दीपदान करने से वर्षभर के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं.

इन मंत्रों का करें उच्चारण

ऊँ यमाय नम:, ऊँ धर्मराजाय नम:, ऊँ अंतकाय नम:, ऊँ सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊँ औदुम्बराय नम:, ऊँ दध्राय नम:, ऊँ नीलाय नम:, ऊँ परमेष्ठिने नम:, ऊँ वृकोदराय नम:, ऊँ चित्राय नम:, ऊँ चित्रगुप्ताय नम:

इन मंत्रों के साथ यम देवता के लिए दीप जलायें. इस दिन घर की चारदीवारी, बगीचा, गौशाला, रसोई घर, स्नान घर, नदी, सरोवर, कूप, देववृक्ष एवं मंदिर आदि में दीपक जलाना चाहिए. इस प्रकार त्रयोदशी से अमावस्या तक दीपक जलाने चाहिए.

संपूर्ण सौन्दर्य प्राप्ति का दिन है रूप चतुर्दशी

'देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌ । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि।। इस मंत्र का जाप करने से आप आरोग्य के साथ सौंदर्य और सौभाग्य को प्राप्त करते हैं. इस मंत्र का जाप 108 बार करने से लाभ मिलेगा.

Last Updated : Nov 3, 2021, 7:16 PM IST

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