मुंबई :देशभर में कोरोना महामारी से हाहाकार मचा हुआ है. ऑक्सीजन, बेड और रेमेडिसविर की भारी कमी के चलते लोगों की मौत हो रही है. वहीं शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में इस पर भाजपा की खुलकर आलोचना की है.
शिवसेना ने कहा, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात और देशभर के तकरीबन राज्यों में ऑक्सीजन की किल्लत है. शिवसेना ने बीजेपी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि देश में कोरोना से हालात इतने डरावने हो गए हैं कि उच्चतम न्यायालय को इसमें दखल देना पड़ा, जो भाजपा की नाकामी को दर्शाती है.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में 12 सदस्यीय एक टास्क फोर्स का गठन किया है. कोरोना महामारी की वर्तमान स्थिति पर शिवसेना ने कहा कि भाजपा की गोबेल्स मशीनरी क्या कहेगी ?
'सामना' में लिखा, देश में कोरोना की दूसरी लहर ने हलचल मचा रखी है. दवाएं, टीकाकरण, हर राज्य में होने वाले ऑक्सीजन की आपूर्ति के संबंध में रोजाना गड़बड़ी के मामले सामने आ रहे हैं. कई मरीज और उनके रिश्तेदारों को ऑक्सीजन और बेड नहीं मिल रहे हैं, इसलिए वे कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं.
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पिछले कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है जैसे सुप्रीम कोर्ट ने ही कोरोना से लड़ने, ऑक्सीजन मुहैया कराने और बेड की व्यवस्था करने का काम अपने हाथ में ले लिया है. पत्र में आगे लिखा गया कि न्यायालय ने इस मामले को लेकर एक राष्ट्रीय समिति का गठन करके उस पर यह जिम्मेदारी सौंपी है. राष्ट्रीय स्तर के 12 विशेषज्ञों को इसमें शामिल किया गया है. मुंबई के दो विशेषज्ञ डॉ. जरीर उदवाडिया एवं डॉ. राहुल पंडित को भी समिति में शामिल किया गया है.
सामना में शिवसेना ने सवाल खड़ा किया कि सरकार इससे पहले इस तरह की राष्ट्रीय समिति बना सकती थी, क्योंकि इसके गठन की मांग पहले से उठ रही है. शिवसेना ने बताया कि अब उच्चतम न्यायलय ने ऑक्सीजन और दवा की आपूर्ति के संबंध में एक तटस्थ मशीनरी तैयार करने की जिम्मेदारी इस राष्ट्रीय समिति को सौंपी है.
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सामना में शिवसेना ने चिंता जताई कि देश में इस महामारी से लाखों लोग ऑक्सीजन की कमी से तड़प रहे हैं और कई अपनी जिंदगी से हाथ धो रहे हैं. वहीं, ऑक्सीजन को लेकर कई राज्यों में मारामारी हो रही है. शिवसेना ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन पर भी निशाना साधा. पत्र में लिखा कि डॉ. हर्षवर्धन पश्चिम बंगाल में हिंसा के विरोध में बिना मास्क के प्रदर्शन करते दिखे. उन्हें कोरोना जैसे महान संकट के बारे में कुछ पता ही नहीं है.
शिवसेना ने कहा कि सरकार की इस लापरवाही के चलते ही उच्चतम न्यायालय ने कोरोना से निपटने के लिए समिति का गठन किया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की टास्क फोर्स यूरोपिय देशों में देखने को मिल रही है और आगामी अगस्त महीने में ब्रिटेन पूरी तरह से कोरोनामुक्त हो जाएगा. क्योंकि ब्रिटेन के टीकाकरण 'टास्क फोर्स' के अध्यक्ष फ्लाइव डिक्स ने यह दावा किया है. शिवसेना ने कहा कि इस पर हमारे देश में क्या हुआ?
'महाभारत का युद्ध 18 दिन चला और कोरोना को हम 21 दिन में हरा देंगे' बीजेपी के ऐसे दावों पर शिवसेना ने कहा, टीकाकरण के प्रयास में सरकार की पकड़ ही छूट गई. गर्म पानी पीने से कोरोना से बचाव होता है. 30 सेकंड सांस रोकने से संक्रमण से बचाव होता है. ऐसी बातें फैलाकर हमने दिखा दिया कि हम आज भी पाषाण युग में घूम रहे हैं. यह देश सांप, बिच्छू, हाथी और मदारी लोगों का है. इस तरह की बदनामी विदेश में हो रही है. मदारी आज सत्ता की टोकरी में बैठकर बीन बजा रहे हैं और लोगों को नचा रहे हैं.
शिवसेना ने आगे लिखा कि इस तरह के बीनवाद से देश में नए पूंजीवाद का निर्माण हुआ और यह पूंजीवाद भी देश को कोरोना से मुक्ति नहीं दिला सका. संकट के समय में तो राजनीतिज्ञों को दरियादिली दिखानी चाहिए. नहीं तो देश और प्रजा संकट में आ जाती है. राजधानी दिल्ली में स्वास्थ्य संबंधी मूलभूत सुविधाओं का ढांचा ध्वस्त हो गया है. वहां जन नियुक्त सरकार के सभी अधिकार केंद्र ने छीन लिए हैं. लिहाजा, ऐसे संकट काल में कोई क्या निर्णय ले, इसे लेकर संभ्रम है.
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दिल्ली जैसी चिंताजनक स्थिति अन्य राज्यों में भी है. राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले किसी भी प्रबंधकीय सूत्र का निर्माण नहीं किया गया है. अब इस पर टास्क फोर्स को कुछ करना होगा. विदेश से ऑक्सीजन प्लांट आयात करके भी ऑक्सीजन की कमी बरकरार है. टीकाकरण के लिए कतारें लगी हैं, लेकिन वैक्सीन खत्म हो गई हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य केवल सड़कों और श्मशानों में शव ही गिन रहे हैं.
देश में मौजूदा समय में कोरोना को लेकर जो हाहाकार मचा हुआ है, उसे देखकर सर्वोच्च न्यायालय ने कदम उठाए, लेकिन देश के राजनेता राजनीति में ही उलझे पड़े हुए हैं. असम के मुख्यमंत्री पद का पेंच सुलझाने में वे मग्न थे.
ऐसे समय में आखिरी सांस पर अटके हुए लोग क्या करें? उनका रक्षक कौन है? सर्वोच्च न्यायालय का मन पिघला और उसने कोरोना युद्ध के लिए 12 विशेषज्ञों की राष्ट्रीय समिति गठित की. यह समिति ही अब ध्वस्त हुई स्वास्थ्य मशीनरी में जान फूंके.