पं. धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर बोले प्रदीप मिश्रा अलवर. पिछले 4 दिनों से राजस्थान के अलवर जिले में कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा चल रही है. देशभर से लोग कथा को सुनने के लिए आ रहे हैं. रविवार को मीडिया से बातचीत करते हुए प्रदीप मिश्रा ने कहा कि महिलाओं पर ससुराल और मायके की जिम्मेदारी के अलावा परिवार को सुधारने की जिम्मेदारी भी रहती है, इसलिए महिलाएं कथा ज्यादा सुनती हैं. ग्रेटर नोएडा में पंडित धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हम जो भी बोलें वो सोच समझकर बोलना चाहिए.
महिलाओं का सम्मान करना चाहिए : उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से धर्म का प्रचार हो रहा है. लोगों के मन में धर्म के प्रति आस्था बढ़ी है. हाल ही में ग्रेटर नोएडा में हुई पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथा के दौरान महिलाओं को लेकर दिए गए बयान पर उन्होंने कहा कि व्यक्ति को सोच समझकर बोलना चाहिए और महिलाओं का सम्मान करना चाहिए. प्रत्येक बात का मतलब होता है. कोरोना काल में कथा से लोगों को बल मिला. जितनी भी ठाकुर जी की हवेली हैं, उनके पास शिव मंदिर होते हैं. भगवान शिव, भगवान राम की और भगवान राम भगवान शिव की पूजा करते हैं.
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अपराध रोकना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं :बढ़ते हुए अपराध पर उन्होंने कहा कि हम लोगों को बच्चों को बेहतर संस्कार देने चाहिए. उनका ध्यान रखना चाहिए, जिससे अपराध कम हों. अपराध रोकना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है और सरकार या किसी एक सिस्टम से अपराध नहीं रुकता है. लव जिहाद के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हमें अपनी बेटियों को बेहतर संस्कार देनी चाहिए व उनका ध्यान रखना चाहिए. महिलाएं दो परिवारों को सुधारने का काम करती हैं, इसलिए वो कथा सुनने ज्यादा आती हैं.
भगवान की पूजा से जीवन में सफलता मिलती है : उन्होंने कहा कि धर्म के शिक्षा में लोभ नहीं होना चाहिए, निस्वार्थ भावना से कार्य को करना चाहिए. जिस तरह पढ़ाई करना जरूरी है, उसके साथ ही व्यक्ति को भगवान की पूजा भी करनी चाहिए. भगवान में आस्था होनी चाहिए. अपने कर्म के साथ एक लोटा जल भगवान की पूजा से जीवन में सफलता मिलती है. उन्होंने कहा कि कथाओं में किसी भी तरह की राजनीति नहीं होती है. कथा राजनीति से परे रहती है. कथा के कार्यक्रम में आयोजन समिति किसको बुलाते हैं, यह उनपर निर्भर करता है. बता दें कि मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में कथावाचक पंडित मिश्रा का जन्म हुआ था. उन्होंने गोपीकिशन चांडक के पहली बार कथा की. गोवर्धन नाम जी की परिक्रमा में मानसी गंगा के पास चकलेश्वर महादेव की पूजा अर्चना के बाद उन्होंने शिव महा कथा करना शुरू किया.