हमारे जीवन में कुछ शाश्वत सत्य होते हैं और उन्हें टाला या झुठलाया नहीं जा सकता. ऐसा ही एक सत्य है व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी शनि की साढ़े साती (shani ki sadhe sati) या ढैय्या का आना. किसी भी राशि की कोई भी ऐसी कुंडली नहीं मिलेगी जिसमें किसी न किसी कालावधि में शनि की साढ़े सात साल या ढाई साल की विशेष दशा न हो. लोग शनि के प्रभाव की आशंका से घबराने लगते हैं, जबकि वास्तविकता में शनि न्याय के देवता हैं और उनके अनुकूल कार्य होने पर व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं.
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि शनि (Shani Dev) की साढ़े साती सात साल की और ढैय्या ढाई साल की अवधि की होती है. किसी व्यक्ति के जीवन पर साढ़े साती या ढैय्या का प्रभाव क्या होगा, यह उस व्यक्ति की जन्मकुंडली में शनि की स्थिति पर निर्भर है. यदि किसी की जन्मकुंडली में शनि कमजोर स्थिति में होंगे तो उसे तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दूसरी तरफ यदि कुंडली में उच्च के शनि होने पर साढ़ेसाती से भी लाभ मिलने की संभावना प्रबल होती है.
सिंह राशि वालों के लिए खुशखबरी
ज्योतिषाचार्य पंडित सचिन्द्रनाथ पांडेय बताते हैं कि ग्रहों के वर्तमान कालचक्र में धनु, कुंभ और मकर राशि वाले लोग शनि की साढ़े साती से प्रभावित हैं. इनमें धनु राशि के लोगों पर शनि की साढ़े साती का अंतिम चरण, कुंभ राशि वालों पर पहला और मकर राशि वालों पर दूसरा चरण चल रहा है. इसके साथ ही तुला और मिथुन राशि के लोगों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव चल रहा है.