नई दिल्ली :गुजरात के अहमदाबाद शहर में अल्पसंख्यक और दलित बहुल दानीलिम्डा विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के शैलेश मनुभाई परमार ने एकबार फिर से जीत हासिल करते हुए दिखा दिया कि उनको किसी भी लहर में हराना आसान नहीं है. दानीलिम्डा विधानसभा सीट पर लगातार तीसरी जीत के साथ हैट्रिक लगाने का काम किया है. यहां पर आम आदमी पार्टी के कपाड़िया दिनेशभाई सोमभाई दूसरे नंबर पर रहे.
इसके पहले 2012 और 2017 में दो विधानसभा चुनावों हुए और इन दोनों चुनावों में कांग्रेस के दिग्गज नेता शैलेश परमार ने जीत हासिल की थी. 2012 में 14,000 से अधिक वोटों और 2017 में 32,000 वोटों के अंतर से जीत दर्ज करने के बाद इस बार हैट्रिक लगाने की फिराक में थे. भाजपा ने नरेश व्यास को इस सीट से मैदान में उतार कर मजबूत दावेदारी करने की कोशिश की थी. नरेश व्यास 2005 के अहमदाबाद नगर निगम चुनावों में भाजपा पार्षद के रूप में चुने गए थे. उन्हें आदर्श चुनाव आचार संहिता का उलंघन करने की वजह से अपना चुनावी कार्यालय बंद करना पड़ा था.
इस बार शैलेश परमार लगातार तीसरी बार चुनावी मैदान में उतरे थे. AIMIM ने इस सीट पर एक दलित उम्मीदवार कौशिका परमार को मैदान में उतारा था. वह एक ब्यूटी पार्लर चलाती हैं. वहीं आम आदमी पार्टी ने गुजरात बिजली बोर्ड (जीईबी) में सेवानिवृत्त इंजीनियर दिनेश कपाड़िया को अपना प्रत्याशी बनाया था.
अहमदाबाद शहर में अल्पसंख्यक और दलित बहुल दानीलिम्डा विधानसभा सीट पर कब्जे को लेकर भाजपा व कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई चल रही थी. करीब एक दशक पहले अस्तित्व में आई इस सीट पर बीजेपी कभी चुनाव नहीं जीती थी. बीजेपी को इस बार यह मिथक टूटने की उम्मीद से चुनाव मैदान में आयी थी, क्योंकि उसको उम्मीद थी कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) और आम आदमी पार्टी (AAP) के भी यहां से प्रत्याशी उतारने के बाद मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया था.