कोलकाता:एक ऐसी दुनिया में जो तेजी से राजनीतिक और भौगोलिक सीमाओं से विभाजित हो रही है, अस्सी वर्षीय माया चक्रवर्ती की कहानी बॉर्डर और सीमाओं को पार कर प्रेम और परिवार की शक्ति का एक उदाहरण है.
माया की कहानी 1940 की है जब वह अपनी बहन बीनापानी के साथ बांग्लादेश के शल्यत से कोलकाता आई थी. उन्हें नहीं, पता था कि यह यात्रा उन्हें हमेशा के लिए जुदा कर देगी. बीनापानी (Binapani) के परिवार ने विभाजन के दौरान बांग्लादेश लौटने का फैसला किया, जबकि माया का परिवार नवनिर्मित पश्चिम बंगाल में बस गया.
लगभग अस्सी वर्षों से माया अपनी बहन की तलाश कर रही थीं. आखिरकार अपने बेटे सुवेंदु चक्रवर्ती और हैम रेडियो की मदद से ही वह अंततः बांग्लादेश में अपनी उनको खोजने में सफल रहीं. पश्चिम बंगाल पुलिस के साइबर विभाग में काम करने वाले सुवेंदु ने बांग्लादेश में लोगों तक पहुंचने के लिए अपने पेशेवर कनेक्शन का इस्तेमाल किया, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया. बांग्लादेश हम रेडियो (Bangladesh Ham Radio) के सोहेल राणा के संपर्क में आने के बाद ही चीजें ठीक होने लगीं.
माया के बेटे सुवेंदु ने बताया कि 'मेरी मां की आखिरी इच्छा अपनी बहन से मिलने की थी. मैं काफी समय से कोशिश कर रहा था. अपने पेशेवर संपर्कों का उपयोग करते हुए, मैंने बांग्लादेश में लोगों से संपर्क करने की कोशिश की ताकि वे मेरी मौसी को खोजने में हमारी मदद कर सकें लेकिन कुछ भी काम नहीं आया. फिर मैं आखिरकार हम रेडियो के संपर्क में आया और इसने अद्भुत काम किया. मैं अपनी मौसी के परिवार के साथ संपर्क स्थापित करने में सक्षम हुआ.'