नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने केंद्र से है कहा कि झारखंड में व्यावसायिक खनन के लिये कोयला खदानों की ई-नीलामी के बाद शीर्ष अदालत की अनुमति के बगैर खुदाई नहीं होगी.
सोमवार को झारखंड सरकार के दावे पर संज्ञान लेते हुए पीठ ने कहा, 'हमारी अनुमति के बगैर झारखंड में खनन के लिये खुदाई शुरू नहीं की जायेगी.' शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं होने की स्थिति में संबंधित प्राधिकारियों के खिलाफ वह कार्रवाई कर सकता है.
दरअसल, सोमवार को झारखंड सरकार ने दावा किया कि खनन काम बंद होने के पश्चात खदान के पट्टाधारकों द्वारा खनन वाले इलाके में फिर से घास लगाने के आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है. शीर्ष न्यायालय इसके लिये संबंधित प्राधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की चेतावनी दी.
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सोमवार को सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से अधिवक्ता तापेश कुमार सिंह ने पीठ को बताया कि खदान वाले क्षेत्र में फिर से घास लगाने के उसके निर्देश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है.
इस पर पीठ ने कहा, 'अटार्नी जनरल, अगर हमारे आदेश का अनुपालन नहीं हुआ तो हम संबंधित लोगों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई कर सकते हैं. हम चाहते हैं कि हमारे आदेश का सख्ती से पालन हो. मवेशियों के चरने के लिये फिर से घास लगाना जरूरी है.' न्यायालय ने सिंह से कहा कि वह इस संबंध में अटार्नी जनरल को विवरण उपलब्ध करायें ताकि वह इस पर गौर कर सकें.
पीठ झारखंड में व्यावसायिक खनन के लिये कोयला खदानों की ई-नीलामी के मुद्दे पर राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पीठ ने कहा कि इस मामले में जनवरी में सुनवाई की जायेगी.
झारखंड सरकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरिमन ने कहा कि चूंकि यह मामला जनवरी में सूचीबद्ध है, इसलिए कोई स्वतंत्र प्राधिकारी संबंधित स्थलों का निरीक्षण कर सकते हैं.
पीठ ने कहा, 'हमें कुछ दीजिये. आपने एक नाम बताया था लेकिन उनका देहांत हो गया. हम इस मामले को जनवरी के प्रथम सप्ताह के लिये सूचीबद्ध करेंगे.' झारखंड सरकार की याचिकाओं के अलावा पीठ ने इससे संबंधित मुद्दों पर भी विचार किया और केंद्र तथा अन्य को नोटिस जारी कर उनके जवाब मांगे.
सोमवार को प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि खनन कार्य के दौरान घास पूरी तरह से खत्म हो जाती है.
इससे पहले न्यायालय ने छह नवंबर को केंद्र को यह स्पष्ट कर दिया था कि झारखंड की पांच कोयला खदानों सहित 34 खदानों की ई नीलामी उसके अंतिम आदेशों के दायरे में रहेगी.