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सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल की तरफ से विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजने की समय सीमा पर करेगा विचार

केरल विधानमंडल के द्वारा पारित किए गए विधेयकों को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के द्वारा दो साल रोककर रखे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. पीठ ने पूछा, 'राज्यपाल दो साल तक विधेयकों को दबाकर क्या कर रहे थे.' Kerala Governor Arif Mohammed Khan, Supreme Court, Attorney General R Venkataramani

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

By PTI

Published : Nov 29, 2023, 10:07 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के राज्य विधानमंडल की ओर से पारित विधेयकों को दो साल तक दबाए रखने पर अप्रसन्नता जताते हुए बुधवार को कहा कि वह यह दिशा-निर्देश तय करने पर विचार करेगा कि राज्यपाल मंजूरी के लिए विधेयकों को राष्ट्रपति के पास कब तक भेज सकते हैं. उच्चतम न्यायालय ने इस बात का संज्ञान लिया कि केरल के राज्यपाल ने आठ विधेयकों पर निर्णय ले लिया है. न्यायालय ने इसके साथ ही राज्यपाल से मुख्यमंत्री पिनराई विजयन तथा मंत्री से मुलाकात करके विधेयकों पर चर्चा करने का निर्देश दिया और उम्मीद जताई कि किसी राजनीतिक दूरदर्शिता से काम लिया जाएगा.

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने राज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी की दलीलों पर गौर किया कि आठ विधेयकों में से सात को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखा गया है जबकि एक को खान ने मंजूरी दे दी है. पीठ में न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने पूछा, 'राज्यपाल दो साल तक विधेयकों को दबाकर क्या कर रहे थे.'

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह विस्तार में नहीं जाना चाहते क्योंकि ऐसा करने से कई सवाल उठ जाएंगे. पीठ ने कहा, 'हम इसमें बहुत गहराई से जाएंगे. इसने कहा, 'यह संविधान के प्रति हमारी जवाबदेही के बारे में है और लोग हमसे इसके बारे में पूछते हैं.' शीर्ष न्यायालय ने इस बीच राज्य सरकार को विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को समयबद्ध तरीके से मंजूरी देने या अस्वीकार करने के लिए राज्यपालों को दिशानिर्देश जारी करने संबंधी अपनी याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी. पीठ ने कहा, 'हम रिकॉर्ड करेंगे कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री और प्रभारी मंत्री दोनों से चर्चा करेंगे...'

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'उम्मीद करते हैं कि राज्य में कुछ राजनीतिक दूरदर्शिता से काम लिया जाएगा. अन्यथा हम यहां कानून बनाने के लिए और संविधान के तहत अपने कर्तव्य निभाने के लिए मौजूद हैं..' पीठ राज्य विधानसभा द्वारा पारित कई विधेयकों पर राज्यपाल की ओर सहमति नहीं देने को लेकर केरल सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब यह न्यायालय निर्णय ले कि कब विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल को विधेयकों को लंबित रखने नहीं दिया जा सकता क्योंकि इससे शासन बाधित होता है.

पीठ का शुरुआत में विचार था कि राज्य सरकार की याचिका का अब निपटारा किया जा सकता है क्योंकि राज्यपाल के कार्यालय ने विधेयकों पर निर्णय ले लिया है, बाद में इस मुद्दे पर दिशानिर्देश तय करने पर विचार करने के लिए इसे लंबित रखने का फैसला किया गया. इससे पहले शीर्ष अदालत ने केरल के राज्यपाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव से पंजाब के मामले में उसके हालिया फैसले को देखने को कहा था. उच्चतम न्यायालय ने पंजाब के मामले में कहा था कि राज्यपाल कानून बनाने की सामान्य प्रक्रिया को विफल नहीं कर सकते.

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