नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने असंगठित श्रमिकों को रिकॉर्ड करने वाले राष्ट्रीय डेटा बेस को विकसित करने में केंद्र की अक्षमता पर आज अपनी निराशा व्यक्त की और कहा कि इसे नौकरशाही पर नहीं छोड़ा जा सकता है, उन्होंने पिछले साल अक्टूबर से परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद से कुछ भी नहीं किया है.
केंद्र ने अदालत से कहा कि सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए तीन से चार महीने और लगेंगे, जिस पर अदालत ने कहा कि वे एक देशव्यापी सर्वेक्षण नहीं कर रहे हैं, यह सिर्फ एक डेटाबेस है और इसके लिए इतने समय की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ महामारी के दौरान प्रवासियों के दुखों और समस्याओं पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रही थी.
अदालत ने केंद्र से सवाल किया कि वह उन श्रमिकों तक पहुंचने के लिए क्या कर रहा है जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं और क्या प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना को अस्थायी रूप से उन लोगों के लिए बढ़ाया जा सकता है जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं क्योंकि राज्यों में असंगठित प्रवासियों के लिए कोई योजना नहीं है.