नई दिल्ली : महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर एक याचिका समेत उन याचिकाओं को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया जिनमें उसके 2021 के उस फैसले की समीक्षा का आग्रह किया गया था जिसके तहत उसने प्रवेश और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने वाले राज्य के कानून को रद्द कर दिया था.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पांच मई, 2021 को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली समुदाय को आरक्षण देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले से संबंधित याचिकाओं पर फैसला सुनाया था. न्यायमूर्ति भूषण अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
यह उल्लेख करते हुए कि मराठा आरक्षण समानता के अधिकार के सिद्धांत का उल्लंघन करता है, शीर्ष अदालत ने 29 साल पुराने मंडल फैसले पर फिर से विचार करने की मांग वाली याचिका को एक बड़ी पीठ को भेजने से भी इनकार कर दिया था. मंडल फैसले के तहत आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत है.
राज्य सरकार और अन्य ने 2022 में समीक्षा याचिका दायर की और खुली अदालत में सुनवाई का आग्रह किया था. पीठ ने समीक्षा याचिकाओं पर विचार किया और उन्हें 11 अप्रैल को खारिज कर दिया.