नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केरल उच्च न्यायालय का वह आदेश रद्द कर दिया जिसमें माओवादियों से कथित तौर पर संबंध रखने के लिए गिरफ्तार व्यक्ति को राजद्रोह सहित आतंकवाद रोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत तीन मामलों में आरोप मुक्त किया गया था.
केरल सरकार और अन्य की अपीलों पर गौर करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ के सितंबर 2019 के आदेश के बारे में कहा जा सकता है कि यह राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) कानून और शीर्ष अदालत द्वारा पूर्व में निर्धारित कानून के तहत संवैधानिक प्रावधान के'पूरी तरह उलट' है.
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ से राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि आरोपी को इन आरोपों से मुक्त करने से इंकार करने संबंधी विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ आरोपी रूपेश की पुनरीक्षण याचिकाओं पर एनआईए अधिनियम की धारा 21 की उप-धारा (2) के तहत अनिवार्य रूप से उच्च न्यायालय की खंडपीठ को सुनवाई करनी चाहिए थी.