मुंबई :कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने पश्चिम बंगाल में जीत के लिए ममता बनर्जी का अभिनंदन किया, तो महाराष्ट्र के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने उन्हें धमकी दे दी. पाटिल ने धमकी देते हुए कहा कि अगर आगे से ऐसा कहा, तो याद रखना आप जमानत पर बाहर हैं. इस बात पर शिवसेना बिफर उठी और उसने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में इस बात की जमकर खबर ली.
भुजबल को धमकियों के साथ चेतावनी
शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में लिखा है, छगन भुजबल ने ममता बनर्जी का अभिनंदन किया, तो इसमें क्या गलती हुई? पाकिस्तान में सत्तांतर होता है, तो प्रधानमंत्री मोदी भी पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री का अभिनंदन करते हैं. ये एक राज शिष्टाचार है, लेकिन भुजबल द्वारा ममता का अभिनंदन करने से बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने भुजबल को जमानत पर रिहा होने की बात याद दिला दी. पाटिल ने भुजबल को धमकियों के साथ चेतावनी भी दी. यह एक तरह से न्याय व्यवस्था पर दबाव लाने का तरीका है. भुजबल, पाटिल को जवाब देने में समर्थ हैं, लेकिन इसका एक ही अर्थ है कि महाराष्ट्र की राजनीति में संयम-संस्कार व संस्कृति बर्बाद होती जा रही है. प्रगतिशील महाराष्ट्र की परंपरा को यह शोभा देने वाला और स्वीकार करने लायक नहीं है.
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बंगाल में टीएमसी ने किया चमत्कार
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में ममता बनर्जी ने बड़ी जीत हासिल की है और बंगाल काबिज करने के लिए जो गए, वो बंगाल की खाड़ी में गोते लगा रहे हैं. यह तस्वीर तुम कैसे बदलोगे? ममता ने राज्य में 216 सीटें जीतने का चमत्कार किया, इसके लिए उनका अभिनंदन सभी कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी ममता का सार्वजनिक रूप से अभिनंदन किया है. अब मोदी, शाह और राजनाथ सिंह पर भी चंद्रकांत अपनी खीज निकालेंगे या फिर ममता का अभिनंदन किया इसलिए गुजरात के पुराने मामलों को फिर से खोलने की धमकियां देंगे? वहां भाजपा के सांसद बाबुल सुप्रियो ने भी ममता को शुभकामनाएं देने से न सिर्फ इनकार किया, बल्कि अपनी फेसबुक वॉल पर बंगाल की जनता ने भ्रष्ट और क्रूर महिला को दोबारा सत्ता में लाकर ऐतिहासिक भूल की जैसे पोस्ट किए. इस पोस्ट की चाैतरफा आलोचना होने पर उन्हें यह पोस्ट डिलीट करनी पड़ी.
बंगाल में हार से बौखलाई बीजेपी
सामना में आगे लिखा गया, बंगाल में ममता की जीत के कारण बीजेपी का दिमागी संतुलन कितना बिगड़ गया है, इसी का यह सबूत है. राजनीति में हर दिन एक जैसे नहीं होते. उतार-चढ़ाव होता रहता है. महाराष्ट्र का पंढरपुर उपचुनाव भाजपा ने जीता, लेकिन बंगाल में पटखनी खाने के कारण पंढरपुर की जीत भी उन्हें मीठी नहीं लग रही. पंढरपुर में राष्ट्रवादी कांग्रेस के उम्मीदवार कांटे की टक्कर में हार गए. वहां भाजपा के उम्मीदवार समाधान आवताडे विजयी हुए. लोकतंत्र के इस निर्णय को सभी ने माना. इस पर विरोधियों ने भी भाजपा और आवताडे का अभिनंदन किया. महाराष्ट्र में शिवसेना-राष्ट्रवादी-कांग्रेस की सरकार है. पंढरपुर में विजयी हुए आवताडे का अभिनंदन करने वालों को देख लेंगे, ऐसी भाषा का इस्तेमाल किसी ने किया हो यह दिखाई नहीं दिया. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के फैसले को देखते हुए सत्ताधारी बीजेपी के हाथ बहुत कुछ लगा है, ऐसा दिखता नहीं. असम के भौगोलिक व सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए वहां भाजपा की जीत के अलावा कोई विकल्प नहीं था.