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यूक्रेन-रूस के बीच संघर्ष तेज: भारत और ऑस्ट्रेलिया ने जताई चिंता, शत्रुता खत्म करने का आह्वान

यूक्रेन और रूस के बीच जंग का आज 28वां दिन है. खबर के मुताबिक यूक्रेनी सेना ने कीव के उपनगर से रूसी सैनिकों को खदेड़ दिया है. वहीं, मारियुपोल में संघर्ष तेज हो गया है. दूसरी तरफ भारत और ऑस्ट्रेलिया ने यूक्रेन संघर्ष पर चिंता जतायी, शत्रुता तत्काल खत्म करने का आह्वान किया है.

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Published : Mar 23, 2022, 7:19 AM IST

कीव : रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, रूस के आक्रमण के कारण एक करोड़ से अधिक लोगों को उनके घरों छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा है. वहीं, हजारों लोग मारे जा चुके हैं. दूसरी तरफ यूक्रेनी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है रूसी बलों को भीषण लड़ाई के बाद कीव के रणनीतिक लिहाज से अहम उपनगर मकरीव से खदेड़ने में कामयाबी मिली है. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व ऑस्ट्रेलिया के पीएम मॉरिसन ने यूक्रेन संघर्ष पर चिंता जतायी है और को शत्रुता तत्काल खत्म करने का आह्वान किया है. वहीं, युद्ध ने 'दुनिया की रोटी की टोकरी' के रूप में चर्चित क्षेत्र से अनाज की आपूर्ति को भी या तो रोक दिया है या उस पर सवालिया निशान लगा दिए हैं

बता दें कि, मारियुपोल के दक्षिणी बंदरगाह पर रूस ने हमले तेज कर दिए हैं. शहर से निकल रहे आम लोगों का कहना है कि बमबारी लगातार जारी है.कीव में विस्फोटों और गोलियां चलने की आवाज कई जगहों पर सुनी गईं और उत्तर में एक जगह से काले धुएं का गुबार उठता देखा गया। उत्तर-पश्चिम में तोपखाने से की जा रही भारी गोलाबारी की आवाज सुनी जा सकती है, जहां रूस ने राजधानी के कई उपनगरीय क्षेत्रों को घेरने और कब्जा करने के लिए दबाव बढ़ा दिया है. यह उसके लिये महत्वपूर्ण लक्ष्य है.

शहर के अधिकारियों द्वारा लागू बुधवार सुबह तक चलने वाले 35 घंटे के कर्फ्यू के दौरान निवासियों ने घर पर या भूमिगत ठिकानों में शरण ली. दक्षिणी बंदरगाह शहर मारियुपोल में युक्रेनी सैनिकों के आत्मसमर्पण करने से इनकार के बाद रूस ने इस शहर की घेराबंदी और कड़ी कर दी है. इलाके को छोड़कर भाग रहे नागरिकों ने बताया कि लगातार बमबारी हो रही है और सड़कों पर शव पड़े हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, रूस के आक्रमण के कारण एक करोड़ से अधिक लोगों को उनके घरों छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा जो यूक्रेन की युद्ध-पूर्व आबादी का लगभग एक चौथाई है। संयुक्त राष्ट्र ने 953 नागरिकों की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि वास्तविक मृतक संख्या शायद बहुत अधिक है.

भीषण युद्ध में रूस के हताहतों का अलग-अलग और सही अनुमान लगाना मुश्किल है लेकिन पश्चिमी अधिकारियों द्वारा रुढ़िवादी आंकड़े भी हजारों में हैं. रूस ने दो मार्च को कहा था कि यूक्रेन में कार्रवाई में 498 सैनिक मारे गए हैं उसके बाद से उसने कोई जानकारी इस संबंध में नहीं दी है। रूस के क्रेमलिन समर्थक कोम्सोमोल्स्काया प्रावदा अखबार ने रक्षा मंत्रालय का हवाला देते हुए सोमवार को संक्षेप में बताया कि लगभग 10,000 रूसी सैनिक मारे गए थे। रिपोर्ट को जल्दी से हटा दिया गया, और अखबार ने इसके लिये ‘हैकर्स’ को दोषी ठहराया। क्रेमलिन ने मंगलवार को टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

युद्ध ने “दुनिया की रोटी की टोकरी” के रूप में चर्चित क्षेत्र से अनाज की आपूर्ति को भी या तो रोक दिया है या उस पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. विशेष रूप से गेहूं जैसी फसल. यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधन मंत्री ने कहा कि चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र के पास जंगल की आग बुझा दी गई है और क्षेत्र में विकिरण का स्तर मानदंडों के भीतर है। अमेरिका के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि रूसी बलों ने पिछले दो दिनों में हवाई हमले तेज कर दिए हैं और रूस ने पिछले 24 घंटे में कम से कम 300 ऐसे हमले किए हैं। उन्होंने बताया कि युद्ध शुरू होने के बाद से रूसी बलों ने अब तक 1,100 से अधिक मिसाइलें यूक्रेन में दागी हैं.

मोदी व मॉरिसन ने यूक्रेन संघर्ष पर चिंता जतायी, शत्रुता तत्काल खत्म करने का आह्वान किया

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर चिंता जताते हुए शत्रुता को तत्काल खत्म किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है तथा जोर दिया है कि मौजूदा वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र ‘चार्टर’, अंतरराष्ट्रीय कानून एवं राज्यों की संप्रभुता के सम्मान और क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित है. विदेश मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी संयुक्त बयान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार को डिजिटल शिखर सम्मेलन के दौरान इस बात पर जोर दिया. संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने यूक्रेन में चल रहे संघर्ष एवं मानवीय संकट को लेकर गंभीर चिंता जतायी। दोनों प्रधानमंत्रियों ने शत्रुता को तत्काल खत्म करने की आवश्यकता दोहराई.

बाइडन से यूक्रेन में मानवीय मदद के लिए भारत, ब्राजील और यूएई से पायलट लेने का अनुरोध

अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से यूक्रेन में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए भारत, ब्राजील, मिस्र और यूएई जैसे देशों से संपर्क करने और इन देशों से पायलट मांगने का आग्रह किया है क्योंकि रूस इन्हें गैर-शत्रु देश मानता है. बीस सांसदों के एक समूह ने बाइडन को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि यूकेन में जहां भी संभव है जिंदगियां बचाना अमेरिका की नैतिक जिम्मेदारी है.

पत्र में कहा गया है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के दौरान यूक्रेन में मदद पहुंचाने के लिए मानवीय गलियारे के संबंध में पूर्व में हुआ करार अभी तक भरोसे पर खरा नहीं उतरा है, खास तौर पर देश के सर्वाधित प्रभावित इलाकों में. इसमें आगे कहा गया है कि अमेरिकी खुफिया विभाग ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन की राजधानी में आने वाले दिनों में खाना और पीने का पानी समाप्त हो सकता है. पत्र में कहा गया है कि इस बात का खतरा है कि यूक्रेन के हवाई क्षेत्र में घुसते ही विमानों को मार गिया जा सकता है, ऐसे में प्रशासन से उन देशों से संपर्क करने और पायलट मांगने का आग्रह किया जाता है ,जिन्हें रूस गैर-शत्रु देश मानता है.

यूक्रेन युद्ध से गेहूं पर संकट के बीच भारत, ऑस्ट्रेलिया ने निर्यात बढ़ाया

यूक्रेन में रूस के युद्ध ने दुनिया भर के किसानों को अपने खेती के स्वरूप को बदलने और इस बसंत में अधिक गेहूं उगाने के लिए मजबूर किया है क्योंकि युद्ध ने दुनिया की रोटी की टोकरी के रूप में चर्चित क्षेत्र से अनाज की आपूर्ति को रोक दिया है या उस पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. विशेषज्ञों ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे देशों ने अनाज के निर्यात में वृद्धि के साथ इस दिशा में प्रतिक्रिया दी है, लेकिन अन्य लोगों के लिए तुरंत ऐसा करने की गुंजाइश बेहद कम है, विशेष रूप से बार-बार पड़ रहे सूखे के कारण.

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उत्तरी डकोटा के पश्चिम में खेत के मालिक एड केसल ने कहा कि हालात देखते हुए वह कुछ और गेहूं बो सकते हैं और कीमतों में उछाल का फायदा उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कीमतों में युद्ध शुरू होने के बाद एक तिहाई की बढ़ोतरी हुई है जिससे सूखे से होने वाले नुकसान और ईंधन की बढ़ती लागत की भरपाई में मदद मिली है लेकिन बहुत ज्यादा नहीं.

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