नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने निर्माण, उद्योग, परिवहन, ऊर्जा एवं वाहनों की आवाजाही को प्रदूषण के बड़े कारण बताया और केंद्र से कहा कि वह अनावश्यक गतिविधियों को रोकने और कर्मियों द्वारा घर से काम करने जैसे कदम उठाए.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम द्वारा कुछ निर्णय किए गए हैं, लेकिन इसने सटीक तरीके से यह नहीं बताया है कि वे वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारकों को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाने जा रहे हैं.'
पीठ ने कहा, 'इसके मद्देनजर हम भारत सरकार को निर्देश देते हैं कि वह कल एक आपात बैठक बुलाए और हमने जिन क्षेत्रों की बात की है, उन पर चर्चा करे तथा यह देखे कि वह वायु प्रदूषण को प्रभावी तरीके से काबू करने के लिए क्या आदेश पारित कर सकती है.' पीठ ने कहा, 'जहां तक पराली जलाए जाने की बात है, तो शपथपत्र व्यापक रूप से कहते हैं कि दो महीनों को छोड़ दिया जाए, तो उसका योगदान बहुत अधिक नहीं है. बहरहाल, इस समय हरियाणा और पंजाब में पराली जलाए जाने की घटनाएं बड़ी मात्रा में हो रही हैं.'
पीठ ने केंद्र और एनसीआर राज्यों को कर्मियों से घर से काम कराने की समीक्षा करने को कहा. केंद्र की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को उन कई कदमों की जानकारी दी, जिन पर केंद्र सरकार और दिल्ली, पंजाब एवं हरियाणा के सचिवों के साथ हुई आपात बैठक में विचार-विमर्श किया गया था.
मेहता ने कहा, 'हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पराली जलाया जाना प्रदूषण का बड़ा कारण नहीं है और वायु प्रदूषण में इसका योगदान मात्र 10 प्रतिशत है.' पीठ ने उनके इस प्रतिवेदन पर कहा, 'क्या आप इस बात से सहमत हैं कि पराली जलाया जाना मुख्य कारण नहीं है? इस हल्ले का कोई वैज्ञानिक या तथ्यात्मक आधार नहीं है.'