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दुनिया के पास भौतिक ज्ञान, सिर्फ भारत के पास ही आध्यात्मिक ज्ञान: भागवत

मोक्षायतन योग संस्थान के 49वें स्थापना दिवस पर मोहन भागवत ने कहा कि मन, बुद्धि और शरीर एक तरंग उत्पन्न करता है. जो बीच में आ जाता है वही हमें दिखाई देता हैं. जलाशय का जल यदि शांत है, तो उसकी गहराई दिखाई दे सकती है लेकिन अगर वह अशांत होता है तो उसकी गहराई का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. ठीक उसी प्रकार यह मनुष्य भी अगर योग करने लगे तो कोलाहल से मुक्त हो जाता है.

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मोक्षायतन योग संस्थान मोहन भागवत

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Published : Apr 30, 2022, 5:47 PM IST

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शनिवार को सहारनपुर में थे. यहां उन्होंने मोक्षायतन योग संस्थान के 49वें स्थापना दिवस समारोह में शिरकत की. इस दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि दुनिया के पास सिर्फ भौतिक ज्ञान है, सिर्फ भारत ही ऐसा है जिसके पास आध्यात्मकि ज्ञान है.

इस मौके पर उन्होंने योग की महत्ता भी बताई. उन्होंने कहा कि योग का मतलब झुकना है. प्रत्येक कार्य को सत्यम, शिवम, सुंदरम की तरह सुव्यवस्थित तरीके से करना ही योग है. शरीर पर संतुलन पाना भी योग है. जो व्यक्ति शरीर पर संतुलन पा लेता है, दुख तो दूर उसका कोई शत्रु भी नहीं होता. समुद्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार समुद्र की लहरें होती हैं, लहरों का समुद्र नहीं होता है. स्वयं को दुखमुक्त करने के बाद दुनिया को दुखमुक्त करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कितना भी कोलहल हो जाए, मैं हमेशा शांत रहता हूं. मेरे अंदर आंदोलन पैदा नहीं होता है.

उन्होंने यह भी कहा कि मन, बुद्धि और शरीर एक तरंग उत्पन्न करता है. जो बीच में आ जाता है वही हमें दिखाई देता हैं. जलाशय का जल यदि शांत है, तो उसकी गहराई दिखाई दे सकती है अगर अशांत होता है तो उसकी गहराई का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. ठीक उसी प्रकार यह मनुष्य भी अगर योग करने लगे तो कोलाहल से मुक्त हो जाता है. शांत मन वाला व्यक्ति कहीं भी बैठ जाए तो वह वहीं एकाग्र हो सकता है क्योंकि उस व्यक्ति ने अपने मन पर विजय पा रखी है. कुल मिलाकर कहा जाए तो तन, मन और बुद्धि को जोड़ना ही योग है.

इस दौरान मोहन भागवत संस्कृत, हिंदू, भूगोल, विज्ञान, गणित के साथ न्यूरो साइंस का पाठ पढ़ाना नहीं भूले. उनका कहना था कि न्यूरो साइंस के मुताबिक इंसान को वही सुनाई, दिखाई और समझ में आता है जो उसके दिमाग में डाला गया है. रंगों के भेद का भी वर्णन करते हुए कहा कि जैसे सावन के अंधे को हरा-हरा दिखाई देता है ठीक वैसे ही दिमाग और मन इंद्रियों के कारण मनुष्य को बंदी बना लेते हैं, जिससे वह किसी भी भेद को नही समझ पाता है.

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भागवत ने कहा कि योग को किसी धर्म विशेष से जोड़ कर नहीं देखना चाहिए. योग तो हर धर्म के व्यक्ति पर लागू होता है. विश्व के कई देश योग का पेटेंट करवाना चाहते हैं इसलिए हमें आगे आकर यह कहना पड़ता है, योग भारत का है. हमें संस्कृति का दूत बनना चाहिए. हम दुनिया के सबसे प्राचीन लोग हैं और एक तरह से बड़े भाई हैं.

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