मेरठः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत दो दिवसीय प्रवास पर शनिवार को पांडव नगरी हस्तिनापुर पहुंचे. आरएसएस प्रमुख ने रविवार को पश्चिमी यूपी के 5000 विशेष किसानों से गौ आधारित जैविक खेती को लेकर संवाद किया. उन्होंने किसानों काे जैविक खेती का महत्व भी बताया. इसी के साथ भारतीय किसान संघ द्वारा आयोजित 3 दिवसीय कृषि संगम का रविवार को समापन भी हो गया.
आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने किसानों को गौ आधारित खेती करने का आह्वान किया. कहा कि जो विष की खेती करते हैं, वह महापाप के भागी हैं. समस्त किसान ही भारत के प्राण हैं. भारतीय कृषि प्रकृति से उतना ही लेती है, जितने की जरूरत है. रसायन मिट्टी से तत्वों को नष्ट कर देते हैं. रासायनिक खेती छोड़कर लोग गौ आधारित खेती अपनाएं. यह परिवर्तन देश के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बेहद आवश्यक है.
मोहन भागवत ने कहा कि हम सब भारत के लोग हैं. हमको हमारा अधिकांश अन्न भूमि से मिलता है. भूमि में जो औषधि, वनस्पति आती है वे सब हमारी थाली में रहती हैं. मांसाहारी लोगों की भी हमारे यहां अच्छी खासी संख्या है. भारत का मुख्य अन्न शाकाहारी अन्न है. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने हमारी शिक्षा को भी नष्ट किया. इसी तरह कृषि को भी नष्ट किया. उन्होंने कहा कि 10 हजार साल से भारत में खेती की जा रही थी. किसान की खेती उसकी प्रयोगशाला थी. 400 साल पहले विदेश में गाय नहीं थी. भारत से देशी गाय ले जाई गई.
उन्होंने कहा कि भारत की गाय ज्यादा दूध नहीं देती, ऐसा गलत प्रचार किया गया. पहले दूध व घी मांगने पर दिया जाता था, बेचा नहीं जाता था. गाय के गौमूत्र और गोबर का भी प्रयोग होता था. उन्होंने कहा कि अब खेतों में रसायन का प्रयाोग किया जाता है. शुद्ध अन्न नहीं मिलता है. रसायन सब्जी के जरिए आदमी के भीतर जा रहा है. पंजाब से कैंसर ट्रेनें चलने लगीं हैं. अफ्रीका की खेती 400 साल में बंजर बन गई. गौ आधारित खेती करनी ही होगी. खेती की लागत कम करनी होगी. किसानों से संवाद स्थापित करते हुए भागवत बोले कि परंपरागत कृषि ही श्रेष्ठ है. पहले जिस तरह से खूब तालाब व नदियां थीं, ये प्रकृति का चक्र था, इसे लागू करने की आवश्यकता है. हमारा देश अंहिसा का है. अहिंसा का पालन करें.