जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को राइट-टू-हेल्थ बिल पास हो गया. बिल में महत्वपूर्ण बात यह है कि निजी अस्पतालों को आपातकाल या इमरजेंसी की स्थिति में निःशुल्क इलाज करना होगा. इस बिल में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिनके जरिए आमजन को समय पर और बेहतर इलाज मिल सकेगा. हालांकि बिल को विरोध में चिकित्सकों का आंदोलन जारी है.
इस बीच विधानसभा में अपनी बात रखते हुए स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि इस बिल को विपक्ष के कहने पर ही प्रवर समिति को भेजा गया. प्रवर समिति की 6 बैठकें हुई. उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों की बातों को माना गया. साथ ही मुख्यमंत्री ने खुद डॉक्टरों को बुलाकर बात की और हमने भी उनसे बात की, उनके सुझाव को 100 प्रतिशत मान लिया है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर उनसे कल मिले और इस बिल को वापस लेने की बात कहने लगे, अगर बिल को डॉक्टरों के कहने पर वापस लेते तो यह हाउस का अपमान होता.
बिल से जनता को होगा यह लाभ
- राजस्थान में पारित हुए स्वास्थ्य के अधिकार बिल में महत्वपूर्ण बात यह है कि निजी अस्पतालों को आपातकाल या इमरजेंसी की स्थिति में निःशुल्क इलाज करना होगा. यहां तक कि अगर मरीज के पास इलाज के लिए पैसे नहीं है, तो भी अस्पताल इनकार नहीं कर सकता है.
- स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के तहत राज्य और जिला स्तर पर इन नियमों की पालना के लिए प्राधिकरण का गठन किया जाएगा.
- स्वास्थ्य के अधिकार वाले इस बिल में गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज को रेफर किए जाने की स्थिति में अस्पताल को ही एंबुलेंस का इंतजाम करना अनिवार्य होगा.
- राइट टू हेल्थ बिल के तहत प्राइवेट हॉस्पिटल्स को सरकारी योजना के मुताबिक हर बीमारी का मुफ्त इलाज करना है.
- स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के तहत दुर्घटना में घायल मरीज को अस्पताल पहुंचाने वाले वाहन को ₹5000 की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान होगा.
- सड़क दुर्घटना के घायल व्यक्तियों को निर्धारित नियमानुसार निःशुल्क ट्रांसपोर्ट, इलाज एवं बीमा प्राप्त करने का अधिकार होगा.
- आपात स्थिति में एक्सीडेंटल ईमरजेंसी, सर्प दंश/जानवर के काटने के केस शामिल हैं.
- एक्सीडेंटल ईमरजेंसी से तात्पर्य है- अनजाने या अप्रत्याशित तरीके से कोई घटना घटित होने के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मौत हो या वो घायल हो जाए. इसमें सड़क, रेल, जल या वायु दुर्घटना शामिल हैं. ईमरजेंसी में प्रसूति केयर भी शामिल है. इसमें गर्भावस्था व प्रेगनेंसी की जटिलता से ग्रसित महिला का उपचार करना शामिल है.
- किसी पुरूष प्रैक्टिशनर की ओर से किसी महिला रोगी के शारीरिक परीक्षण के दौरान अन्य महिला की उपस्थिति का अधिकार होगा.
- राज्य के निवासी को चिकित्सा संस्थान में उपलब्ध प्रत्येक प्रकार की सेवाओं और सुविधाओं के रेट और चार्जेज जानने का अधिकार होगा.
- चिकित्सक की सलाह के विरूद्ध यदि रोगी अस्पताल छोड़ता है तो उससे ट्रीटमेंट समरी प्राप्त करने का अधिकार होगा.
एक्सीडेंट समेत तीन इमरजेंसी रखीःबिल को लेकर बोलत हुए स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि इमरजेंसी को लेकर डॉक्टरों में जो अनिश्चितता थी, वह हमने समाप्त कर दी. अब हमने एक्सीडेंट समेत तीन इमरजेंसी रखी है. इमरजेंसी के पुनर्भरण की बात भी सरकार ने मान ली है. अगर इलाज करवाने वाला भुगतान नहीं करेगा तो सरकार उसका पुनर्भरण करेगी. डॉक्टरों के कहने पर हमने प्रधान, प्रमुख को भी कमेटी से बाहर कर दिया और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के 2 डॉक्टर भी कमेटी में रखे जाएंगे, लेकिन डॉक्टर फिर भी आंदोलन कर रहे हैं जो साफ है कि दिखाता है कि वह अपने चिकित्सक धर्म को भूल गए हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्सक का धर्म यह होता है कि वह पहले इलाज करे. डॉक्टरों की सारी बातें मानने के बावजूद डॉक्टर आंदोलन कर रहे हैं जो उचित नहीं है और जनता के हित में नहीं है.