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Right To Health Bill: राजस्थान के डॉक्टरों के समर्थन में आया IMA, सरकार से बिल वापस लेने की मांग

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Published : Mar 28, 2023, 5:12 PM IST

Updated : Mar 28, 2023, 6:33 PM IST

राजस्थान में पारित हुआ राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी आ गया है. IMA ने बिल के प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए उसमें संशोधन करने की मांग की है. उनका कहना है कि बिल में ऐसी बहुत सारी बातें हैं, जिससे डॉक्टरों के प्रति हिंसा बढ़ेगी.

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नई दिल्ली: राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल को लेकर चल रहे डॉक्टरों के प्रदर्शन को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी अपना समर्थन दिया है. साथ ही राजस्थान सरकार से इस बिल को तुरंत वापस लेने की मांग की है. इस बिल को लेकर आईएमए के अध्यक्ष डॉ. शरद कुमार अग्रवाल से ईटीवी भारत के संवाददाता राहुल चौहान ने बातचीत की.

डॉ. शरद अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा 21 मार्च को विधानसभा में लाया गया राइट टू हेल्थ बिल डॉक्टर संगठनों से बिना बातचीत के जबरन थोपा गया है. जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं. इस बिल में ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिनको पूरा करना डॉक्टरों के लिए संभव नहीं है. सरकार ने इमरजेंसी की परिभाषा को इस बिल में पूरी तरह से शामिल नहीं किया है, सिर्फ इमरजेंसी शब्द को ही बिल में नोटिफाई कर दिया है. जबकि, इमरजेंसी कई तरह की होती है. जरूरी नहीं जिस अस्पताल में इमरजेंसी की स्थिति में मरीज जाए उस अस्पताल में बीमारी का इलाज हो. सभी अस्पतालों में हर तरह की इमरजेंसी सेवाएं उपलब्ध नहीं होती हैं तो ऐसे में हर अस्पताल इमरजेंसी में आए मरीज का इलाज कैसे कर पाएगा.

सरकारी अस्पतालों की सुविधा दुरुस्त करेंःडॉ. अग्रवाल ने कहा कि बिल में सरकार ने किया है कि इमरजेंसी की स्थिति में कोई मरीज किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में पहुंचता है तो अस्पताल बिना कोई एडवांस पैसा लिए इलाज करेगा. अगर अस्पताल ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. आपातकालीन सेवा देने के लिए सरकार को सरकारी अस्पतालों में भी सुविधाएं विकसित करनी चाहिए.

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डॉक्टरों के प्रति बढ़ेगी हिंसाःउन्होंने कहा कि इस बिल को जबरन थोपने से डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा बढ़ेगी, क्योंकि इमरजेंसी की स्थिति में आए हुए मरीज के परिजनों को समझाना बहुत मुश्किल होता है. अक्सर वह लोग डॉक्टर की बात सुने बिना तत्काल इलाज करने का दबाव बनाते हैं. जब अस्पताल में आपातकालीन सुविधा उपलब्ध नहीं होती है तो मजबूरी में डॉक्टर मरीज को दूसरे अस्पताल में ले जाने की सलाह देते हैं, जिसको लेकर कई बार मरीज के परिजन डॉक्टरों के साथ मारपीट कर देते हैं. और इलाज में लापरवाही करने का आरोप लगाते हैं. इसलिए हमारी सरकार से मांग है कि इस बिल को वापस लेकर डॉक्टरों के साथ बैठकर वार्ता करें और आपत्तियों का निस्तारण कर बिल के प्रावधानों में संशोधन करें.

राजस्थान में 21 मार्च से हो रहा विरोधः आईएमए के वित्त सचिव डॉक्टर शितिज बली का कहना है कि इस संबंध में आईएमए की ओर से हम लोगों ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलकर के उन्हें डॉक्टरों की समस्याओं से अवगत कराया है. उम्मीद है कि सरकार डॉक्टरों की समस्याओं पर विचार करेगी और इस बिल में संसोधन करेगी. 21 मार्च से राजस्थान में बिल के विरोध में निजी अस्पतालों को बंद करके डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मिलने में खड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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काली पट्टी बांधकर किया था कामःजयपुर में सोमवार को डॉक्टरों द्वारा की गई विशाल रैली के दौरान पुलिस ने डॉक्टरों पर लाठीचार्ज किया था, जिसके विरोध में आईएमए ने देश में अपनी सभी शाखाओं के प्रतिनिधियों को प्रत्येक जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर जिला प्रशासन को ज्ञापन देने का आह्वान किया था. जिस पर दिल्ली सहित देश भर के अस्पतालों के डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर काम किया था. साथ ही बिल के विरोध में आईएमए ने ट्विटर पर भी कैंपेन चलाकर और ट्वीट कर विरोध जताया था.

आईएमए अध्यक्ष ने कहा कि बिल के प्रावधानों का अध्ययन करने के लिए हमने एक समिति भी बनाई है. समिति बिल के एक-एक प्रावधान का अध्ययन रही है. समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर हम आगे की रणनीति तय करेंगे और इस बिल के कानूनी पहलुओं पर विशेषज्ञों से कानूनी सलाह भी लेंगे. इस बिल के विरोध में आईएमए राजस्थान इकाई हड़ताल पर है. हम लगातार उनके संपर्क में हैं. हम किसी भी कीमत पर इस बिल को स्वीकार नहीं करेंगे. जहां तक भी लड़ना पड़े हम लड़ेंगे. चुनाव को देखते हुए इस बिल को लेकर सरकार ने जो अपना अड़ियल रवैया अपना रखा है हम उसका कड़ा विरोध करेंगे.

Last Updated : Mar 28, 2023, 6:33 PM IST

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