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साल 2020 : दिग्गज राजनेता जो नहीं रहे...

हमने इस साल कई राजनीतिक हस्तियों को खो दिया. इसमें अहमद पटेल, जसवंत सिंह और राम विलास पासवान जैसे राजनेता शामिल हैं. इन नेताओं का योगदान हमेशा ही याद किया जाएगा. आइए जानते हैं कौन-कौन से नेताओं ने हमेशा-हमेशा के लिए हमें अलविदा कह दिया.

political leaders
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Published : Dec 22, 2020, 6:03 AM IST

तरुण गोगोई
असम के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता तरुण गोगोई का निधन 23 नवंबर को हुआ. वह कोरोना से संक्रमित थे. गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में उनका इलाज चल रहा था. कोरोना से उबरने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी. करीब दो महीने बाद उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया. उसके बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका

तरुण गोगोई

अहमद पटेल

सोनिया गांधी के सबसे करीबी नेता और लंबे समय तक उनके राजनीतिक सचिव रहे अहमद पटेल का निधन 25 नवंबर को हुआ. वह मेदांता अस्पताल में भर्ती थे. वह कोरोना से संक्रमित थे. 71 साल के अहमद पटेल एक बेहतरीन रणनीतिकार माने जाते थे. यूपीए शासन के 10 सालों के दौरान बिना उनकी सहमति के सरकार शायद ही कोई फैसला लेती थी. वह गुजरात के रहने वाले थे.

अहमद पटेल

राम विलास पासवान
आठ अक्टूबर 2020 को केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का निधन हो गया. उनके हार्ट का ऑपरेशन हुआ था. उसके बाद वे उससे कभी उबर नहीं पाए. वह एक प्रमुख दलित नेता थे. उन्हें राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक कहा जाता था. चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो, वो उसमें मंत्री अवश्य रहते थे. चुनाव से पहले जिस गठबंधन में शामिल होते थे, प्रायः जीत उसी की होती थी. बतौर रेल मंत्री वह काफी लोकप्रिय हुए थे. इस बार उन्हें उपभोक्ता मामलों का मंत्री बनाया गया था.

राम विलास पासवान

सुरेश अंगदी
रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगदी का निधन 23 सितंबर को कोरोना वायरस बीमारी के कारण हुआ. वह 65 वर्ष के थे. 1 जून 1955 को जन्मे, अंगदी कर्नाटक के बेलगाम से लोकसभा के सदस्य थे. उन्होंने बेलगाम से चार बार जीत हासिल की. अंगदी ने 2004 में पहली बार चुनाव लड़ने के बाद कभी हार नहीं देखी. अंगदी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1996 में की थी. 2001 में, उन्हें भाजपा के बेलगाम जिला अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था. जिला अध्यक्ष के पद पर बढ़ने के तीन साल बाद, बीजेपी द्वारा लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अंगदी को टिकट दिया गया. कांग्रेस के अमरसिंह पाटिल को हराने के बाद उनका राजनीतिक कद बहुत बढ़ गया था.

सुरेश अंगदी

प्रणब मुखर्जी
31 अगस्त 2020 को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हुआ. उनका जन्म 11 दि. 1935 को हुआ था. 2012-17 तक वह देश के राष्ट्रपति रहे. मुखर्जी कांग्रेस के दिग्गज राजनेता थे. 1986-89 तक वे कांग्रेस से दूर रहे. उन्होंने अपनी पार्टी बनाई थी. बाद में वे फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वे पीएम पद के प्रबल दावेदार थे. मनमोहन सिंह की सरकार में उन्होंने वित्त और रक्षा मंत्री का कार्यकाल संभाला था.

प्रणब मुखर्जी

अमर सिंह
अमर सिंह का निधन एक अगस्त 2020 को हुआ. उनका जन्म 27 जनवरी 1956 को यूपी के अलगीढ़ में हुआ था. वह सिंगापुर में अपना इलाज करा रहे थे. एक समय वह राजनीति के सबसे चहेते चेहरों में शामिल थे. उनका प्रभाव बहुत अधिक था. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अमर सिंह का बॉलीवुड में अच्छा खासा दखल था. वह अमिताभ बच्चन के काफी करीब थे. हालांकि, अंत समय में दोनों के बीच दूरी बढ़ गई थी.

अमर सिंह

लालजी टंडन
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन का निधन 21 जुलाई को हुआ. वह उत्तर प्रदेश से थे. वह लखनऊ में रहते थे. वह मध्य प्रदेश के गवर्नर थे. टंडन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीबी माने जाते थे.

लालजी टंडन

जसवंत सिंह
पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का 27 सितंबर 2020 को नई दिल्ली में सेना के अनुसंधान और रेफरल अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद में निधन हो गया. वह 82 वर्ष के थे. वह अटल बिहारी वाजपेयी की अगुआई वाली केंद्र सरकारों में वित्त, रक्षा और विदेश मंत्री रह चुके थे. वह 1980 से 2014 तक संसद के सदस्य रहे. 1980, 1986, 1998, 1999, 2004 में पांच बार राज्यसभा के लिए चुने गए और 1990, 1991, 1996, 2009 में चार बार लोकसभा के लिए चुने गए. उनकी भाषा बहुत अच्छी थी. रणनीतिक मामलों पर उनकी समझ के सभी कायल थे. वह योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे. लोकसभा चुनाव में हारने के बावजूद वाजपेयी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था. 2004-2009 के बीच राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी रहे.

जसवंत सिंह

अजीत जोगी
छत्तीसगढ़ के पहले सीएम 74 वर्षीय अजीत जोगी का निधन रायपुर में 29 मई को हुआ. वह मरवाही से विधायक चुने जाते थे. नवंबर 2000 में जब छत्तीसगढ़ नया राज्य बना, तो जोगी को सोनिया गांधी ने राज्य का मुखिया चुना. 2003 के विधानसभा चुनावों में जोगी ने सत्ता गंवा दी, लेकिन कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में से एक बने रहे. 2015 में उनका एक ऑडियो रिलीज किया गया. इसे लेकर वह विवाद में आ गए थे. 2016 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और एक क्षेत्रीय पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का गठन किया. 2004 में उनका एक्सिडेंट हो गया. तब से वह व्हीलचेयर के सहारे ही चलते थे.

अजीत जोगी

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