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BHU प्रोफेसर का दावा, कोरोना के वास्तविक मामले आधिकारिक आंकड़ों से 17 गुना ज्यादा - कोरोना पर बीएचयू प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे

BHU प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने दावा किया है कि कोरोना के वास्तविक मामले आधिकारिक आंकड़ों से 17 गुना ज्यादा हो सकते हैं.

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Published : Feb 8, 2023, 10:43 AM IST

वाराणसी: कोरोना संक्रमण के मामले को लेकर अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में अब तक 4.5 करोड़ आबादी को कोरोना संक्रमित हुई है, जबकि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का दावा है कि, देश में वास्तविक कोरोना का आंकड़ा 17 गुना ज्यादा हो सकता है. यह दावा देश में किए गए वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर किया गया हैं.

बता दें कि, एक विज्ञान पत्रिका इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इन्फेक्शन्स डिजीजेस में प्रकाशित अध्ययन में यह बताया गया है कि भारत में वास्तविक कोरोना मामले 58 से 98 करोड़ के बीच है, जबकि बीएचयू कल जीन विज्ञानी प्रोसेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने अपने अध्ययन में यह दावा किया है कि देश में वास्तविक संक्रमण 17 गुना अधिक हो सकता है.


34 शोध संस्थानों के 88 वैज्ञानिकों ने किया शोध: इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के जीन विज्ञानी प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि देश के 34 शोध संस्थानों के 88 वैज्ञानिकों ने इस शोध में अध्ययन किया है. टीम ने 2020 के सितंबर से दिसंबर के दौरान 6 राज्यों के 14 जिलों के शहरी क्षेत्रों में 2301 व्यक्तियों के बीच एंटीबॉडी परीक्षण किया. इस प्रक्रिया में सभी 14 जिलों से ऐसे सैंपल जुटाए गए जिन्हें संक्रमण का अधिक खतरा था.

एंटीबॉडी जांच के जरिये किया गया अध्ययन:उन्होंने बताया (BHU Professor Gyaneshwar Choubey on Corona) कि किसी भी कोरोना वायरस के बाद लोगों में एंटीबॉडी की जांच ही वास्तविक संक्रमण के आंकड़े का सटीक आंकलन कर सकती है. इसी प्रक्रिया को अपनाते हुए वैज्ञानिकों ने भीड़भाड़ वाले स्थलों जिन्हें कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है उनके सैंपल लेकर के शोध किए गए. उन्होंने बताया कि ये वो लोगों थे, जिन्होंने स्वयं रिपोर्ट किया था कि उन्हें कभी कोई कोविड नहीं रहा, ना ही उन्होंने आरटीपीसीआर जांच कराई.


आबादी का एक बड़ा हिस्सा मिला एसिम्प्टोमैटिक:कोरोना पर बीएचयू प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि इस अध्ययन से पता चला कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा कोविड के एसिम्प्टोमैटिक संक्रमण ग्रस्त था. एसिम्प्टोमैटिक लोगों में 26 से 35 वर्ष के लोगों की संख्या अधिकतम थी. यानी कि लगभग उन्हें भी संक्रमण हुआ था,और यह संख्या वास्तविक आंकड़े से लगभग 17 गुना ज्यादा हो सकता है.

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