नई दिल्ली :विजयादशमी या दशहरा पर देशभर में रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लेकिन कोरोना महामारी और महंगाई का असर पुतला बनाने वाले कलाकारों पर साफ दिख रहा है. पुतले बनाने का काम विजयदशमी से दो-ढाई महीने पहले से शुरू हो जाता है और जगह-जगह सड़कों के किनारे पुतले रखे दिखाई देने लगते हैं. लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से लगी पाबंदियों के चलते पुतले नहीं बिक रहे हैं.
कोरोना संक्रमण के कारण रावण का पुतला बनाने वाले परेशान हैं. पुतला कारोबार बेजार है. कोरोना संक्रमण में सुरक्षा गाइडलाइन के कारण लगभग सभी स्थानों पर रावण दहन जैसी परंपरा को रोक दिया गया है. जिससे रावण बनाने वाले कारीगरों के साथ काम करने वाले मजदूरों में निराशा का माहौल बना हुआ है.
इस बार नजारा बिल्कुल बदला हुआ
हर साल विजयादशमी पर्व से पहले रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले बनने शुरू हो जाते थे. सड़क के किनारे, फुटपाथ, पार्को व छतों पर पुतला बनाने वाले कारीगर व्यस्त नजर आते थे. लेकिन इस बार नजारा बिल्कुल बदला हुआ है. कोविड-19 से परेशान कारोबारियों को इस बार एक अच्छे कारोबार की उम्मीद थी, क्योंकि जिस तरह से कोरोना की तीसरी लहर का अंदेशा जताया जा रहा था, वैसा कुछ नहीं है. वहीं भारत की एक बड़ी आबादी कोरोना का टीका भी लगवा चुकी है. लेकिन इस बार भी कारोबारियों को नुकसान झेलना पड़ा है.
लोग त्योहार में भी बाहर निकलने से बच रहे